शिवाजी के किलों की कहानी बताती है हिन्दवी स्वराज्य दर्शन

संजय द्विवेदी
लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहां भी जाते हैं, उस स्थान के अपने अनुभवों के साथ ही उसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व से सबको परिचित कराने का प्रयत्न भी वे अपने यात्रा संस्मरणों से करते हैं। अभी हाल ही उनकी एक पुस्तक 'हिन्दवी स्वराज्य दर्शन' मंजुल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों के भ्रमण पर आधारित है।

हालांकि, यह एक यात्रा वृत्तांत है लेकिन मेरी दृष्टि में इसे केवल यात्रा वृत्तांत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। यह पुस्तक शिवाजी महाराज के किलों की यात्रा से तो परिचित कराती ही है, उससे कहीं अधिक यह उनके द्वारा स्थापित 'हिन्दवी स्वराज्य' या 'हिन्दू साम्राज्य' के दर्शन से भी परिचित कराती है। 
 
हम सब जानते हैं कि जिस वक्त शिवाजी महाराज ने स्वराज्य का स्वप्न देखा था, उस समय भारत के अधिकांश भाग पर मुगलिया सल्तनत की छाया थी। उस दौर मंव पराक्रमी राजाओं ने भी स्वतंत्र हिन्दू राज्य की कल्पना करना छोड़ दिया था। तब एक वीर किशोर ने अपने आठ-नौ साथियों के साथ महादेव को साक्षी मानकर 'हिन्दवी स्वराज्य' की प्रतिज्ञा ली। अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने में हिन्दवी स्वराज्य के मावलों का जिस प्रकार का संघर्ष, समर्पण और बलिदान रहा, उसे आज की पीढ़ी को बताना बहुत आवश्यक है। लोकेन्द्र सिंह की पुस्तक इस उद्देश्य में भी बहुत हद तक सफल होती है।
 
छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारत के 'स्व' के आधार पर 'हिन्दवी स्वराज्य' की स्थापना की थी। हिन्दवी स्वराज्य में राज व्यवस्था से लेकर न्याय व्यवस्था तक का चिंतन 'स्व' के आधार पर किया गया। भाषा का प्रश्न हो या फिर प्रकृति संरक्षण का, सबका आधार 'स्व' रहा। इसलिए हिंदवी स्वराज्य के मूल्य एवं व्यवस्थाएं आज भी प्रासंगिक हैं। पुस्तक में विस्तार से इसका वर्णन आया है कि कैसे शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना करने के साथ ही शासन व्यवस्था से अरबी-फारसी के शब्दों को बाहर करके स्वभाषा को बढ़ावा दिया। 
 
जल एवं वन संरक्षण की क्या अद्भुत संरचनाएं खड़ी कीं। मुगलों की मुद्रा को बेदखल करके स्वराज्य की अपनी मुद्राएं चलाईं। तोपखाने का महत्व समझकर स्वराज्य की व्यवस्था के अनुकूल तोपों के निर्माण का कार्य आरंभ कराया। समुद्री सीमाओं का महत्व जानकर, नौसेना खड़ी की। पुर्तगालियों एवं फ्रांसिसियों पर निर्भर न रहकर नौसेना के लिए जहाजों एवं नौकाओं के निर्माण के कारखाने स्थापित किए। किसानों की व्यवहारिक आवश्यकताएं एवं मजबूरियों को समझकर कृषि नीति बनायी। इन सब विषयों पर भी लेखक लोकेन्द्र सिंह ने अपनी पुस्तक 'हिन्दवी स्वराज्य दर्शन' में बात की है। 
 
हम कह सकते हैं कि 'हिंदवी स्वराज्य दर्शन' अपने पाठकों को छत्रपति शिवाजी महाराज के दुर्गों के दर्शन कराने के साथ ही स्वराज्य की अवधारणा एवं उसके लिए हुए संघर्ष–बलिदान से परिचित कराती है। पुस्तक में सिंहगढ़ दुर्ग पर नरवीर तानाजी मालूसरे के बलिदान की कहानी, पुरंदर किले में मिर्जाराजा जयसिंह के साथ हुए ऐतिहासिक युद्ध एवं संधि, पुणे के लाल महल में औरंगजेब के मामा शाइस्ता खान पर शिवाजी महाराज की सर्जिकल स्ट्राइक का रोचक वर्णन लेखक लोकेन्द्र सिंह ने किया है। इसके साथ ही शिवाजी महाराज की राजधानी दुर्ग दुर्गेश्वर रायगढ़ का सौंदर्यपूर्ण वर्णन लेखक ने किया है। पुस्तक का यह सबसे अधिक विस्तारित अध्याय है। 
 
छत्रपति के राज्याभिषेक का तो आंखों देखा हाल सुनाने का लेखकीय कर्म का बखूबी निर्वहन किया गया है। पाठक जब राज्याभिषेक के वर्णन को पढ़ते हैं, तो स्वाभाविक ही वे स्वयं को छत्रपति के राज्याभिषेक समारोह में खड़ा हुआ पाते हैं। राज्याभिषेक का एक-एक दृश्य पाठक की आँखों में उतर आता है।  
 
यह संयोग ही है कि यह वर्ष हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना 350वां वर्ष है। इस निमित्त देशभर में हिन्दवी स्वराज्य की संकल्पना एवं उसकी प्रासंगिकता को जानने-समझने के प्रयत्न हो रहे हैं। ऐसे में लोकेंद्र सिंह की बहुचर्चित पुस्तक 'हिंदवी स्वराज्य दर्शन' को पढ़ना सुखद है। लेखक श्रीशिव छत्रपति दुर्ग दर्शन यात्रा के बहाने इतिहास के गौरवशाली पृष्ठ हमारे सामने खोलकर रख दिए हैं। लेखनी का प्रवाह मैदानी नदी की तरह सहज-सरल है। जो पहले पृष्ठ से आखिरी पृष्ठ तक पाठक को अपने साथ सहज ही लेकर चलती है। 
 
यदि आपकी यात्राओं में रुचि है और इतिहास एवं संस्कृति को जानने की ललक है, तब यह पुस्तक अवश्य पढ़िए। 'हिंदवी स्वराज्य दर्शन' अमेजन पर उपलब्ध है। अमेजन पर यह पुस्तक यात्रा लेखन श्रेणी के अंतर्गत काफी पसंद की जा रही है। पुस्तक का प्रकाशन 'मंजुल प्रकाशन' ने किया है।
ALSO READ: धर्म और राजनीति के गिरोहों की शिनाख्‍त करता दस्‍तावेज है ज़हरखुरानी

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

इस DIY विटामिन C सीरम से दूर होंगे पिगमेंटेशन और धब्बे, जानें बनाने का आसान तरीका

फटाफट वजन घटाने के ये 5 सीक्रेट्स जान लीजिए, तेजी से करते हैं असर

Indian Diet Plan : वजन घटाने के लिए इस साप्ताहिक डाइट प्लान को फॉलो करते ही हफ्ते भर में दिखेगा फर्क

Essay on Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 600 शब्दों में हिन्दी निबंध

सभी देखें

नवीनतम

Winters : रूखी त्वचा से बचना चाहते हैं तो ये आसान घरेलू उपाय तुरंत ट्राई करें

क्या शिशु को रोजाना नहलाना सही है? जानें रोज नहाने से शिशु की हेल्थ पर क्या पड़ता है असर

आंख के नीचे चींटी का काटना क्यों बन सकता है गंभीर समस्या? जानें ये जरूरी सावधानियां

प्रेग्नेंसी में जंक फूड खाना हो सकता है जोखिम भरा, जानिए हेल्दी स्नैकिंग के 7 आसान टिप्स

अगला लेख
More