कार्यक्रम का विवरण : विश्व पुस्तक मेले में रविवार 8 जनवरी 2017, 2 बजे, वाणी प्रकाशन के स्टॉल 277 से 288, हॉल नम्बर- 12ए ।
पुस्तक परिचय : इतिहास जब वर्तमान से संदर्भ ग्रहण करता है तो एक ऐसा शेर होता है, जो अपने समय का मुहावरा बन जाता है। प्रताप सोमवंशी का यह शेर कुछ उसी तरह का आम-अवाम का हो चुका है। प्रताप के कुछ और अशआर को सामने रखकर देखें कि हमारा कवि हमें अपने निजी अनुभव कहां तक शरीक कर पाता है। कवि द्वारा कही गई बात जब हमें अपने मन की बात महसूस होती है तो यह उसकी सफलता की पराकाष्ठा होती है। आज हम इतना व्यस्त जीवन गुजारते हैं या गुजारने को मजबूर हैं कि बिना जरूरत के अपने सगे-संबंधियों, मित्रों और शुभचिंतकों तक से मिलने कि फुर्सत नहीं निकाल पाते। तहजीबी तरक्की कि बुलंदियों पर पहुंचकर भी हमने अपनी आधी आबादी को किस हाल में रख छोड़ा है, इसका छोटा-सा उदाहरण देकर कवि हमने अंदर तक झकझोर देता है।
यह जो लड़की पे हैं तैनात पहरेदार सौ
देखती हैं उसकी आंखें भेड़िये खूंखार सौ
इन अश्आर में घर के भीतर कि बनावट के पाक फजा का प्रतिबिंब तो हमें रस-विभोर करता ही है, लहजे कि ताजगी एक अलग किस्म के आनंद से परिचित करवाती है।