विश्व स्तर पर हिन्दी स्वयं को सिद्ध कर चुकी है
आपने बहुत से संस्थानों के लिफाफों पर छपा देखा होगा कि हिन्दी दुनिया की तीसरी बड़ी भाषा है जबकि हकीकत यह है कि अंग्रेजी के बाद हिन्दी ही विश्व की दूसरे नंबर पर सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। चीनी भाषा को दूसरे स्थान पर माना गया है पर शुद्ध चीनी भाषा जानने वालों की संख्या हिन्दी जानने वालों से काफी कम हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशियों में हिन्दी भाषा सीखने और जानने वालों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हो रही हैं। इसके ठीक विपरीत हमारे अपने देश में बच्चे दूसरी कक्षा से ही, जब उन्हें क ख ग सिखाया जाता है, हिन्दी के नाम पर नाक-भौंह सिकोड़ना शुरू कर देते हैं - क्या कभी हमने जानने और जांचने की कोशिश की कि ऐसा क्यों होता हैं?
विश्व स्तर पर हिन्दी
आज वैश्विक स्तर पर यह सिद्ध हो चुका है कि हिन्दी भाषा अपनी लिपि और ध्वन्यात्मकता (उच्चारण) के लिहाज से सबसे शुद्ध और विज्ञान सम्मत भाषा है। हमारे यहां एक अक्षर से एक ही ध्वनि निकलती है और एक बिंदु (अनुस्वार) का भी अपना महत्व है। दूसरी भाषाओं में यह वैज्ञानिकता नहीं पाई जाती।