Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Saturday, 17 May 2025
webdunia

जेनेरिक दवाओं का इस्‍तेमाल स्‍ट्रोक में बन सकता है वरदान

Advertiesment
हमें फॉलो करें Use of generic
, शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022 (15:34 IST)
(29 अक्टूबर विश्व स्ट्रोक दिवस पर विशेष)
अहमदाबाद, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, पिछले तीन दशकों में लोगों के जीवनशैली में तेजी से आए भारी बदलाव के कारण, एनसीडी और उनसे जुड़े रिस्क फैक्टर्स भारत के सभी हिस्सों में बढ़ रहे हैं।

इससे न केवल भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं, बल्कि दवा की वजह से घरेलू खर्च भी बढ़ रहा है। इसके बावजूद जब भी स्ट्रोक के बारे में बातचीत और कैम्पेन होते हैं तो ज्यादातर मौकों पर सिर्फ ‘गोल्डन-ऑवर’ में इलाज मिलने पर चर्चा होती है, वहीं स्ट्रोक के बाद पेशेंट के ट्रीटमेंट में आने वाले खर्चे के बारे में कोई बात नहीं करता है।

यहां तक कि इस वर्ष विश्व स्ट्रोक दिवस 2022 की थीम स्ट्रोक के संकेतों और #PreciousTime के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है। जबकि, इससे जुड़े खर्चे समान रूप से महत्वपूर्ण है, जिस पर बात करने की जरूरत हैं, खासकर तब जब मुद्रास्फीति से सभी परेशान है। जेनेरिक दवाओं की यहां बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि वे परिवारों पर बीमारी के आर्थिक बोझ के मामले एक बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

जेनेरिक दवाओं के एक ओमनी-चैनल रिटेलर मेडकार्ट के अनुमानों से पता चलता है कि अगर मरीज ब्रांडेड दवाओं के बजाए जेनेरिक दवाओं को चुनता है तो स्ट्रोक के बाद के इलाज का खर्च ब्रांडेड दवाओं की तुलना में केवल दसवां हिस्सा होगा।
Use of generic

मेडकार्ट के को-फाउंडर अंकुर अग्रवाल ने कहा कि विश्व स्ट्रोक दिवस 2022 के अवसर पर, मेडकार्ट का संदेश वित्तीय संकट को कम करना है, जो कि एक हेल्थकेयर संकट भी बन सकता है। स्ट्रोक से बचना एक बड़ी बात होती है, लेकिन पहले के समय की तुलना में यह आज आसान हो गया है, लेकिन स्ट्रोक के बाद कम से कम एक साल तक दवा का खर्च काफी बढ़ जाता है। इसलिए, न केवल स्ट्रोक आने पर समय पर उपचार के लिए बल्कि उपचार के किफायती साधनों के लिए भी जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जाने चाहिए। मेडकार्ट पिछले आठ वर्षों में जेनरिक के जरिए लोगों हेल्थ केयर के खर्चे को कम करके लोगों के जीवन को बदल रहा है।

कोविड के बाद से ही स्ट्रोक की घटना कई गुना बढ़ गई है। हालांकि सटीक संख्या सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, पर मामले कई गुना बढ़ गए है। अकेले मेडकार्ट के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में स्ट्रोक के बाद रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की बिक्री में 1.5 गुना वृद्धि हुई है। यह कोविड -19 की दूसरी लहर के बाद विशेष रूप से देखने को मिला है।

स्ट्रोक के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख दवाओं में एटोरवास्टेटिन, रोसुवास्टेटिन, टाइकाग्रेलर और क्लोपिडोग्रेल शामिल हैं। ब्रांडेड अल्टरनेटिव की कीमत एक एटोरवास्टेटिन टेबलेट के लिए 24 रुपए है, जबकि जेनेरिक की कीमत 2.5 रुपए प्रति टैबलेट है। इसी तरह, ब्रांडेड से जेनरिक में जाने पर रोसुवास्टेटिन टैबलेट की कीमत 38 रुपए से घटकर 3.6 रुपए प्रति टैबलेट हो जाती है। टाइकाग्रेलर (32 रुपए से 14.4 रुपए प्रति टैबलेट) और क्लोपिडोग्रेल (7.8 रुपये से 1.9 रुपये प्रति टैबलेट) का भी यही हाल है।

अंकुर अग्रवाल ने कहा कि ‘यह स्पष्ट रूप से हेल्थ केयर के खर्चे को कम करने का इशारा कर रहा है, जिसे जेनेरिक दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है। वास्तव में, हम व्यापक रूप से इस बात की वकालत करते हैं कि न केवल स्ट्रोक के लिए बल्कि अन्य लाइफस्टाइल बीमारियों के खर्चे को भी जेनरिक दवाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है। इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे कि लोगों को जेनरिक दवाओं के माध्यम से किफायती उपचार मिल सके। यह लोगों को प्रारंभिक स्टेज में इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करेगा और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम कर सकेगा है।‘
Edited: By Navin Rangiyal/PR

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बढ़ती बेरोजगारी का फायदा उठाती कंपनियां