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बच्चों में क्‍यों बढ़ रहे Respiratory Syncytial Virus के मामले?

हमें फॉलो करें बच्चों में क्‍यों बढ़ रहे Respiratory Syncytial Virus के मामले?
, गुरुवार, 29 जुलाई 2021 (17:18 IST)
दो महीने के बच्‍चों के लिए यह वायरस एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि यह संक्रमण आमतौर पर सर्दियों के मौसम में होने वाला यह रोग अब गर्मियों के मौसम में भी बच्‍चों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऐसा आखि‍र क्‍यों है, यह डॉक्‍टरों के लिए भी एक सवाल बना हुआ है। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि इस बीमारी से ग्रसित हर साल करीब 35 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं, जिनमें से करीब 5 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है।

ब्रिटेन के अस्पतालों में गंभीर श्वसन संक्रमण से पीड़ित बच्चों के मामले बढ़ रहे हैं। इसमें रेस्पिरेटरी सिनसिटियल वायरस (आरएसवी) नाम का संक्रमण शामिल है और ये वायरस दो माह के बच्चों में भी देखा गया।

इससे सांस की नली में सूजन (ब्रोंकियोलाइटिस) जैसे रोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है जो फेफड़ों की सूजन यानी ब्रोंकाइटिस के जैसा है। आमतौर पर सर्दी की बीमारी माना जाने वाला आरएसवी गर्मी में क्यों बढ़ रहा है?

आरएसवी एक आम श्वसन रोगाणु है और हम में से लगभग सभी दो साल की उम्र तक इससे संक्रमित होते हैं। ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के हल्के लक्षण- जुकाम, नाक बहना और खांसी होते हैं। ये लक्षण आमतौर पर एक या दो हफ्ते में बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं। तकरीबन तीन में से एक बच्चे को आरएसवी के कारण ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है।

इससे श्वास की नली में सूजन आ जाती है, मरीजों का तापमान बढ़ जाता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। कभी-कभी ये बहुत गंभीर बीमारी बन जाती है। अगर किसी युवा व्यक्ति को सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगती है तो ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जिससे तापमान 38 सेल्सियस के पार जा सकता है, होंठ नीले पड़ सकते है और सांस लेना बहुत मुश्किल हो सकता है।

बच्चे बीमारी के कारण कुछ खाने से इनकार कर सकते हैं और उन्हें लंबे वक्त तक पेशाब नहीं आती। एक माह के बच्चों की श्वास नली बहुत छोटी होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। ज्यादातर मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन कई बार ब्रोंकियोलाइटिस जानलेवा हो जाता है। हर साल तकरीबन 35 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं और इनमें से करीब 5 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है।

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