Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

‘दिल के मरीजों’ के लिए गुड न्‍यूज, किडनी-कैंसर की दवा से घटेगा ‘हार्ट अटैक’ का खतरा

हमें फॉलो करें ‘दिल के मरीजों’ के लिए गुड न्‍यूज, किडनी-कैंसर की दवा से घटेगा ‘हार्ट अटैक’ का खतरा
, सोमवार, 31 जनवरी 2022 (17:20 IST)
हार्ट फेल के ज्‍यादातर मामलों में मरीजों को निराश ही होना पड़ता है, लेकिन अब एक नए शौध से हार्ट के मरीजों के ठीक होने की उम्‍मीद का ग्राफ कुछ ऊंचा उठा है।

दरअसल, एक शौध के मुताबिक अब किडनी और कैंसर की दवाओं से दिल के मरीजों का भी इलाज किया जा सकेगा। इसे लेकर हालांकि अभी रिसर्च जारी है कि लेकिन शौधकर्ता इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि ये दवाएं दिल के मरीजों के लिए भी मददगार साबित होगी।

इस बारे में कैम्‍ब्र‍िज यूनिवर्सिटी की शोधकर्ताओं का कहना है, एल्‍डेसल्‍युकिन  दवा का इस्‍तेमाल वर्तमान में किडनी कैंसर के मरीजों के इलाज में किया जा रहा है।

यह दवा हार्ट फेल होने का खतरा कम करती है और पहले हार्ट अटैक से जूझ रहे मरीजों में रिकवरी को तेज करती है। रिसर्च रिपोर्ट कहती है, यह दवा दिल के मरीजों में रिकवरी को एक हफ्ते के अंदर 75 फीसदी तक तेज कर देती है। ब्र‍िटेन की स्‍वास्‍थ्‍य एजेंसी NHS कैंसर के इलाज में इस दवा का इस्‍तेमाल कर रही है।

कैसे काम करती है ये मेडि‍सिन?
डेलीमेल की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं का कहना है कि हार्ट में जो डैमेज हुए हैं या हो रहे हैं एल्‍डेसल्‍युकिन दवा उसे सुधारने का काम करती है। इसके अलावा यह दवा हृदय में ऐसे नकारात्‍मक बदलाव को होने से रोकती है जिसे सही नहीं किया जा सकता। शुरुआती ट्रायल में यह साबित भी हुआ है।

शोधकर्ताओं का कहना है, दिल तक ब्‍लड की सप्‍लाई न होने पर हार्ट अटैक होता है। ऐसे मामलों में हार्ट की मांसपेशियां डैमेज होती हैं। दवा के जरिए 10 में से 7 मरीज ठीक तो हो जाते हैं, लेकिन जो डैमेज हुआ है वो ताउम्र बरकरार रह सकता है और भविष्‍य में हार्ट फेल होने की स्थिति बन सकती है।

बता दें कि हार्ट अटैक से जूझने वाले 10 में से 3 ऐसे मरीजों में दिल की मांसपेशियों पर मौजूद टिश्‍यू डैमेज हो जाते हैं। नतीजा, ये सख्‍त होने लगते हैं। इनके अधिक सख्‍त होने पर हार्ट पूरे शरीर तक ब्‍लड पहुंचाने में असमर्थ हो सकता है। यह दवा ऐसे डैमेज को रोकने की कोशिश करती है।

कैसे हुई रिसर्च?
दवा का असर समझने के लिए शोधककर्ताओं ने हार्ट अटैक के बाद पहले दिन इस दवा की लो डोज मरीज को दी। इसके बाद दो महीने तक हर हफ्ते इसे दिया गया। ऐसे मरीजों का ब्‍लड टेस्‍ट लिया गया। रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया कि डैमेज को रिपेयर करने वाली टाइप-2 लिम्‍फोसाइट ब्‍लड सेल्‍स में 75 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजिस्‍ट और दवा का ट्रायल करने वाले मुख्‍य शोधकर्ता डॉ. टियान झाओ का मानना है कि‍ वर्तमान में हमारे पास ऐसी कोई दवा नहीं है जो हार्ट में लम्‍बे समय तक होने वाले डैमेज को रोक सके। खासकर वो डैमेज जो हार्ट अटैक के बाद देखा जाता है। ऐसे में यह दवा इस डैमेज को रोकने का सबसे सस्‍ता इलाज हो सकता है क्‍योंकि यह आसानी से उपलब्‍ध है।

यह दवा कब तक उपलब्‍ध होगी, इस पर विशेषज्ञों का कहना है, एल्‍डेसल्‍युकिन के अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है। NHS के मरीजों तक अगले पांच तक यह दवा उपलब्‍ध हो सकती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कौन थे दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे, कन्नड़ साहित्य में क्‍या था उनका योगदान