सावधान, यह नमक हो सकता है जानलेवा, अमेरिकन लैब का दावा

iodized salt
Webdunia
आप भी अगर रोजा के भोजन में अच्छी क्वालिटी और ब्रांडेड नमक का इस्तेमाल करते है, तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि आपका नमक खाने के लिए सुरक्षित है। जी हां, अमेरिका की लैब ने यह दावा किया है कि कई नामी कंपनी जो अच्छी पैकेजिंग में ब्रांडेड नमक बेचती है, उनका नमक भी खाने के लिए सुरक्षित नहीं है। क्योंकि वे नमक में ऐसे जानलेवा पदार्थों को मिला रही हैं जो किसी भी लिहाज से खाने योग्य नहीं होते हैं, बल्कि ये आपकी सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है। 
  
भारत में बिकने वाले कई ब्रांडेड नमक में जानलेवा पदार्थ जैसे पोटेशियम फेरोसायनाइड, कार्सिनोजेनिक आदि हानिकारक चीजों को मिलाया जा रहा हैं, यहां तक कि उन्हें काफी उच्च स्तर पर मिलाया जा रहा है, जो कि सेहत के लिए बेहत खतरनाक है। इस बात का दावा अमेरिका की एक लैब की रिपोर्ट में किया गया है। यह जानकारी लोगों को सुरक्षित नमक दिलाने के लिए एक अभियान के तहत, एक कार्यकर्ता ने दी है।
 
गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता के अनुसार अमेरिका की वेस्ट एनालिटिकल लेबोरेटरीज की जांच में यह पता चला कि देश के कुछ शीर्ष ब्रांड के नमक में पोटेशियम फेरोसायनाइड की मात्रा 4.71 से लेकर 1.90 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम में पाई गई है। जो कि खाने के नमक में जहर के समान है। 
 
हानिकारक तत्वों से युक्त नमक के खिलाफ अभियान चलाने वाले 91 वर्षीय गुप्ता ने दावा किया है कि कई कंपनियां औद्योगिक कचरे को दोबारा पैक करके बाजार में इसे खाने के नमक के रूप में बेच रही हैं। ऐसे नमक के इस्तेमाल से लोग कैंसर, हाइपरथायरायडिज्म, उच्च रक्तचाप, नपुंसकता, मोटापा, गुर्दे की समस्या जैसी कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
 
उनके अनुसार ये कंपनियां खाद्य नमक को बनाने की प्रक्रिया भी गुप्त रखती हैं। नमक को रिफाइन करने के लिए खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल करती हैं। नमक में स्वाभाविक रूप से आयोडीन रहता है, लेकिन ये कंपनियां उसमें अलग से आयोडीन मिला रही हैं, जो खाने के नमक को जहर बनाने का काम कर रहा है। उनके अनुसार सरकारी विभागों और उत्पादक कंपनियों की मिलीभगत से आयोडीन युक्त नमक के नाम पर उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है।
 
नमक उत्पादक इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों की जान के साथ भी ये कंपनियां खिलवाड़ कर रही हैं। उनका कहना है कि आरटीआई से पता चला है कि भारत के किसी बड़े नमक उत्पादक कंपनी ने परीक्षण या लाइसेंस के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण(FSSAI) में आवेदन नहीं किया है। इसके अलावा देश में ऐसा कोई लैब भी नहीं है जहां नमक में सायनाइड की मात्रा की जांच हो सके।
 
 

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