पूरे देश में हैदराबाद में यह पहला प्रकरण आया है जब वहां के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में आठ एशियाटिक शेरों में कोविड-19 के पॉजिटिव टेस्ट मिले हैं।
हालांकि वहां के पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि शेरों में कोविड के लक्षण तो मिले हैं पर आरटीपीसीआर की रिपोर्ट अभी मिलना शेष है। 30 अप्रैल को एक वहां के वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम और सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों की एक मीटिंग हुई जिसमें यह चर्चा हुई कि वाकई क्या यह कोविड-19 वायरस था और क्या इससे जानवरों से इंसानों में फैलने का खतरा रहेगा।
बाद में निष्कर्ष निकला कि जिनोम सीक्वेंसिंग यानी जीन्स की श्रृंखला पद्धति के विश्लेषण के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या जिन वन्य पशु से जो विषाणु कोविड-19 पाया गया है, वह इंसानों में संक्रमण करने हेतु समर्थ है या नहीं। अभी इसके बारे में कुछ भी कहना जल्दीबाज़ी होगी।
हालांकि सेंट्रल जू अथॉरिटी ने एहतियात के बतौर पर कुछ दिन के लिए प्राणी संग्रहालय बंद कर दिया है ताकि किसी तरह के संक्रमण का खतरा न रहे। कहने का मकसद यही कि जब तक जिनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया का विश्लेषण नहीं हो जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है।
यद्यपि पिछले साल भी न्यूयार्क में वन्य पशुओं में कोविड के प्रकरण मिले थे पर वे संक्रामक नहीं थे और हांगकांग में भी पालतू श्वानों में कोविड जैसे लक्षण मिले थे पर इनसे भी इंसानों को कोई खतरा नहीं हुआ था। फिलवक्त श्वान पालकों या कैट ओनर्स को डरने की कोई बात नही हैं।