मेलबोर्न। स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाला एक हार्मोन फेफड़ों के कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथेरेपी इलाज को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है और कैंसर उपचार के उस गंभीर दुष्प्रभाव को भी रोक सकता है जिसमें गुर्दे को नुकसान पहुंच सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी होने के बावजूद अधिकांश रोगियों का अभी भी सिस्प्लाटिन नामक एक दवा पर आधारित कीमोथेरेपी के माध्यम से इलाज किया जाता है।
हालांकि इन रोगियों में से एक तिहाई से भी कम लोगों में इसका फायदा दिखाई देगा और उनमें अक्सर गुर्दे को क्षति सहित गंभीर दुष्प्रभाव पैदा हो जाते हैं।
फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित रोगियों के इलाज में सामने आने वाले परिणामों में सुधार के प्रयास में , ऑस्ट्रेलिया में गार्वन इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च के शोधकर्ताओं और ऑस्ट्रेलिया में हडसन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पाया कि कीमोथेरेपी प्रतिरोध तथा कीमोथेरेपी से गुर्दे को होने वाले नुकसान के लिए एक्टिवीन नामक एक प्रोटीन जिम्मेदार है।