सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। यह मौसम ठंडा तो बहुत होता है लेकिन "cool" भी होता है। क्योंकि ठंड के मौसम में बहुत स्वादिष्ट गरम-गरम चीजें खाने का मजा ही अलग होता है। और सिर से पांव तक पूरी तरह से ढक जाना। कंबल में बैठकर गरम-गरम चाय का मजा लिया जाता है ताकि बॉडी में गर्मी बने रहें। लेकिन कुछ लोग जिन्हें अत्यधिक ठंड लगती है। वे रात को सोते समय भी स्वेटर और मौजे पहन कर सोते हैं, ताकि ठिठुरती ठंड में चैन की नींद सो सकें। लेकिन यह आपके लिए खतरा भी बन सकता है। आइए जानते हैं रात में स्वेटर और मोजे पहनकर सोने के लिए क्यों मना करते हैं -
- रात को भी उनी कपड़े पहनकर सोते हैं तो वह गर्मी तो पैदा करते हैं लेकिन ये लापरवाही सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। रात को पहनकर सोने से घबराहट, ब्लड प्रेशर लो होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार रात को सोते-सोते अचानक से पसीने में नहाने लगता है जिसका एक कारण यह भी होता है।
- यह जानकर आश्चर्य होगा कि ऊनी कपड़े पहनकर सोने से आपको एलर्जी और खुजली की समस्या भी हो सकती है। अगर आपकी त्वचा मुलायम है तो आपको खुजली की समस्या नहीं होगी। लेकिन रूखी त्वचा से परेशान है तो रात को सोने से पहले अच्छे से बॉडी पर लोशन लगाएं। क्योंकि रूखी त्वचा पर खुजली होना, चकत्ते पड़ना, दाने, रैशेज आदि समस्या होना। इससे बचाव के लिए रात को स्वेटर पहनकर नहीं सोएं। साथ ही स्वेटर पहनने से पहले अच्छा वाला बॉडी लोशन लगाएं।
- दरअसल, ठंड के मौसम में स्वेटर पहनकर सोना किसी खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि उनी कपड़ों में बारीक-बारीक छेद होते हैं जो एक तरह से इंसुलेटर का काम करते हैं। लेकिन दोनों चीजें एक साथ करने से शरीर की गर्मी लॉक हो जाती है। जो हार्ट के मरीजों के लिए खतरा बन जाती है। इसलिए रात को स्वेटर पहनकर सोने के लिए मना किया जाता है।
- एक्सपर्ट के मुताबिक कभी भी रात को मोजे पहनकर नहीं सोना चाहिए। लेकिन पहनना चाहते हैं तो ऊनी की बजाएं कॉटन के मोजे पहनें। दरअसल, ऊनी मोजे पैरों में पसीने को सोखने में सक्षम नहीं होते हैं, जिससे बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। कॉटन के अलावा आप कपास के मोजे भी पहन सकते हैं। जो पहनने में आरामदायक भी होते हैं साथ ही पसीने को सोखने में सक्षम भी।
हालांकि रात को स्वेटर और मोजे पहनकर सोने के लिए मना किया जाता है। क्योंकि ऐसा करने से शरीर के ठंड सहन करने की क्षमता कम होती है। और वह कच्चा होने लगता है। फिर जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं ठंड सहन करने की क्षमता कम होती जाती है।