रोड पर चलते हुए हेडफोन, गाड़ी चलाते समय हेडफोन, गार्डन में वॉक करते हुए हेडफोन, जिम में हेडफोन, लैपटॉप पर काम करते समय हेडफोन, कुछ पढ़ते वक्त हेडफोन... और तो और ये हेडफोन्स वाशरूम में भी आपका पीछा नहीं छोड़ रहे। अधिकतर लोग आसपास की आवाज़ों से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, पर वे यह नहीं जानते कि हेडफोन कानों के साथ दिमाग के लिए भी खतरनाक हो सकता है। अगर टीनएजर्स को देखा जाए, तो जब भी घर में डांट पड़ रही होती है या बड़े कुछ समझाने की कोशिश कर रहे होते हैं तब वे हेडफोन लगाकर बात को अनसुना कर जाते हैं। साफ है कि बात को अनसुना करना हो तो हेडफोन लगाकर आगे बढ़ जाओ। अगर आपको लगता है कि हेडफोन्स हमारे मूड को रिफ्रेश करने में बहुत मदद करते हैं, यहां तक तो ठीक है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपको हमेशा के लिए बहरा बना सकता है।
हेडफोन्स में तेज म्यूजिक सुनते हुए मज़ा तो बहुत आता है, पर ये मज़ा आपको जिंदगी भर की सज़ा दे सकता है। आपको बता दें कि जो लोग 90 डेसीबल से ज्यादा स्तर पर संगीत सुनते हैं वे हमेशा के लिए बहरे हो सकते हैं। इसके जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से आए दिन आप सिरदर्द से भी परेशान हो सकते हैं। रोड पर लोगों के कमेंट्स या गाड़ियों के हॉर्न्स से बचने के लिए लोग हेडफोन लगाते हैं, पर ये आपकी जान के लिए बहुत बड़ा जोखिम है। खास तौर से तब, जब आप सड़क पार कर रहे हों। भारत में आए दिन इस वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। ओल्ड दिल्ली रेलवे स्टेशन और चेन्नई में हाल ही में हुई दुर्घटनाएं इसके ताजा उदाहरण हैं।
हेडफोन्स में तेज म्यूजिक सुनते हुए मज़ा तो बहुत आता है, पर ये मज़ा आपको जिंदगी भर की सज़ा दे सकता है। आपको बता दें कि जो लोग 90 डेसीबल से ज्यादा स्तर पर संगीत सुनते हैं वे हमेशा के लिए बहरे हो सकते हैं। इसके जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से आए दिन आप सिरदर्द से भी परेशान हो सकते हैं। रोड पर लोगों के कमेंट्स या गाड़ियों के हॉर्न्स से बचने के लिए लोग हेडफोन लगाते हैं, पर ये आपकी जान के लिए बहुत बड़ा जोखिम है। खास तौर से तब, जब आप रोड क्रॉस कर रहे हों। भारत में आए दिन इस वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। ओल्ड दिल्ली रेलवे स्टेशन और चेन्नई में हाल ही में हुई दुर्घटनाएं इसके ताजा उदाहरण हैं।
कई लोग ट्रेन या बस में अपना टाइम पास करने के लिए हेडफोन लगाते हैं, पर चलती गाड़ियों में इनका इस्तेमाल शरीर के लिए बेहद हानिकारक है। ऐसे में हमें गाड़ियों के शोर में म्यूजिक कम सुनाई देता है और हाई वॉल्यूम पर म्यूजिक सुन्ना पड़ता है जो कि खतरनाक है। और तो और इससे वर्टिगो जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है।
आजकल युवा पढ़ाई करते समय हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं जिससे न केवल पढ़ाई से उनका ध्यान भटकता है बल्कि एकाग्रता में भी कमी आती है। हेडफोन लगाकर वॉक करने का अंदाज़ भी यूं तो बड़ा कूल लगता है लेकिन अगर इसके इस्तेमाल के बजाए आप ज़मीन पर पड़ रहे अपने कदमों की आवाज़ सुनेंगे तो यह सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा। दरअसल वॉक करते समय हेडफोन का इस्तेमाल, व्याकुलता पैदा करता है। एनरॉइड फोन में जब आप हाई वॉल्यूम पर जाते हैं तो आपका फोन भी आपको वॉर्निंग देता है "Listening at a high volume for a long time may damage your hearing" जिसका मतलब है कि उच्च स्वर में लंबे समय तक सुनना, आनकी सुनने की क्षमता को क्षति पहुंचा सकता है। इसके बावजूद लोग, खासकर किशोर एवं युवा इसे नजरअंदाज करते हैं, जो कि सही नहीं है।