कोरोना वायरस महामारी का इलाज करते-करते वैज्ञानिकों न जाने कितनी रिसर्च इन दो सालों में की हैं। शायद ही इतनी तेजी कभी कोई रिसर्च या वैक्सीन बनी होगी। वहीं पहली बार कोई वायरस इतनी तेजी म्यूटेंट हुआ होगा, जो अब हो रहा है। पहले वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स सामने आए जिसमें खून के थक्के जमने लगे थे। इसके बाद शोध में यह संभावना जताई जा रही है कि एंटीबॉडी बनने के बाद खून के थक्के जम सकते हैं। इस पर शोध में सबसे पहले यह बात सामने आई है। लेकिन एक्सपर्ट क्या कहते हैं आइए जानते हैं।
एंटीबॉडी बनने के बाद खून के थक्के जमना बहुत बड़ी बात है और कहीं न कहीं यह एक चिंता का विषय है। वेबदुनिया ने इस विषय पर इंदौर में श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में डॉ रवि दोसी से चर्चा की | उन्होंने बताया कि, 'एंटीबॉडी से खून के थक्के नहीं जमते हैं। कई बार कोविड खत्म होने के बाद भी उसके साइड इफेक्ट के रूप में यह हो सकता है। जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। कोविड के जहर की वजह से ही खून में गाढ़ापन आता है और ये खून के थक्के जमते हैं। एंटीबॉडी एक तरह से सहायक ही होती है।'
साथ ही फेफड़ों में प्लेटलेट्स के बढ़ने की बात सामने आई है। इसके पीछे की वजह है कि, 'प्लेटलेट्स खून का थक्का जमाते हैं और कोविड का पॉइजन प्लेटलेट्स को एक-दूसरे से चिपकाने लगता है।' वहीं अगर खून के थक्के जमने लगते हैं तो, 'इसके लिए खून पतला करने की दवा लंबे वक्त तक लेना पड़ती है। अगर आपका कोई ऑर्गन डैमेज है जैसे हार्ट पर अटैक का खतरा, ब्रेन में लकवे का खतरा या हाथ-पैर की स्किन काली पड़ना इसका इलाज करना रहेगा।'
शोध 'एंटीबॉडी से बन सकते हैं खून के थक्के'
हाल ही में ब्लड जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में सामने आया कि किस तरह कोविड-19 से बचाव के लिए उत्पादित एंटीबॉडी प्लेटलेट्स को सक्रिय कर खून के थक्के वाली बीमारी हो सकती है।
वहीं ब्रिटेन इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि विभिन्न दवाओं की वजह से एक्टिव प्रतिक्रिया को कम किया जा सकता है। प्लेटलेट्स रक्त में पाई जाने वाली छोटी कोशिकाएं होती हैं जो ब्लड सर्कुलेशन को रोकने के लिए थक्के बनाती हैं। हालांकि असामान्य प्लेटलेट्स होनी की वजह से कई बीमारियां भी हो सकती है जैसे हार्ट स्ट्रोक या दिल का दौरा। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रोफेसर ने कहा कि, 'एक वक्त पर सिर्फ संभावनाएं थी। एंटीबॉडी, जो कोरोना से संक्रमित कोशिकाओं को फैलने से रोकने के लिए बनती हैं, वही थक्के का कारण बनती हैं।'
हालांकि इस पर अभी संभावना अधिक जताई जा रही है। लेकिन अभी और गहन रिसर्च, वैज्ञानिकों के तर्क,एक्सपर्ट की राय भी जरूरी है। वहीं अधिक से अधिक लोगों के संक्रमित होने पर क्या हर्ड इम्यूनिटी बन जाएगी। क्योंकि संक्रमितों की संख्या एक बार फिर से बढ़ रही है।