पिछले दिनों कुशीनगर के दर्दनाक हादसे में ड्राइवर की घोर लापरवाही ने मासूम बच्चों की जान ले ली। अगर उस वक्त ड्राइवर ने कान में ईयरफोन नहीं लगा रखा होता तो आज वे नन्हे बच्चे घरों में मुस्कुरा रहे होते।
इन दिनों यह समस्या सिर्फ युवाओं ही नहीं बल्कि हर उम्र के पुरुष और महिलाओं को चपेट में ले रही है। आए दिन रास्ते में आपको कान में ईयरफोन लगाए लोग मिल जाएंगे जिनकी वजह से प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। ईयरफोन के शौकीन न सिर्फ खुद की जान से खलेते हैं बल्कि उनकी वजह से जो व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए गाड़ी चला रहा है वह भी दुर्घटना का शिकार हो रहा है।
अचानक सामने आए ऐसे व्यक्ति को देखकर संतुलन गड़बड़ा जाता है और हादसा हो जाता है। यूं भी हादसे समय का इंतजार नहीं करते। पिछले दिनों लगातार ऐसी खबरें सामने आई है कि कान में ईयरफोन लगा होने से अमुक व्यक्ति ट्रेन का आवाज नहीं सुन सका और कटकर मर गया। हम ऐसे हादसों को खुद आमंत्रण दे रहे हैं कुछ बातों का ध्यान रखकर घटनाओं को आसानी से टाला जा सकता है।
1. सड़क पर आप एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका में रहें। संगीत सुनना या फोन पर बतियाना आपका व्यक्तिगत मामला है इसे सार्वजनिक कर दूसरों की जान से खेलने का आपको कोई हक नहीं।
2. अगर सड़क पर चलते हुए आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखें तो तुरंत रोककर टोकें। उसे उसकी सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास कराएं।
3. आपकी एक छोटी सी भूल या कहें कि लाइफस्टाइल किसी के लिए मौत का सबब बन सकती है। अत: सड़क पर अपने साथ अन्य नागरिकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें।
4. ईयरफोन और हेडफोन में आने वाली सूक्ष्म ध्वनि भी तेज और साफ सुनाई देती है क्योंकि कानों के बेहद करीब होने के कारण यहां साउंड लॉस न के बराबर होता है। अत: अगर आपको आदत है तो कम से कम आवाज पर उसे रखें। कोशिश यही करें कि घर से बाहर ईयरफोन ना ही लगाएं।
5. ईयरफोन की साउंड आसपास की हलचल से ध्यान बंटाती है, भले ही हम गाड़ी चला रहे हों, पढ़ रहे हों या फिर टहल रहे हों। ऐसे में अपने आसपास के खतरों मसलन हॉर्न की आवाजों, करीब आती ट्रेन और लोगों की चेतावनियों जैसी आवाजें या तो कानों तक पहुंचती ही नहीं हैं या फिर इतनी धीमी महसूस होती हैं कि हमारा ध्यान नहीं खींच पातीं। परिणाम स्वरूप कुशीनगरजैसे हादसे सामने आते हैं।
6. यदि आप संगीत सुनने का शौक रखते हैं और अक्सर इसे सुनने के लिए ईयर फोन का प्रयोग करने हैं, तो ध्यान रखें कि 2 घंटे से अधिक समय तक तेज आवाज को न सुनें। यह आपके कानों को बड़ी क्षति पहुंचा सकता है।
7.अपना ईयर फोन किसी और को प्रयोग न करने दें और ना ही किसी और का ईयर फोन खुद इस्तेमाल करें। यह आपके कानों में बैक्टीरियल इंफेक्शन या अन्य समस्या की रिस्क को कम करेगा।
8. ईएनएटी विशेषज्ञों की मानें तो आपका कान बिना उपयोग की आवाजें पर्दे से टकराकर वापस भेज देता है, जबकि ईयर फोन लगाने से मल्टीपल फ्रिक्वैंसेस की टोन कान के पर्दे से टकराती हैं तो वे टकराने के बाद दोबारा वापस आ जाती है। इसके कारण सारी आवाजें कान के अंदर घूमती रहती हैं, जो हमारी नसों को कमजोर हो जाती हैं।
9. अगर आप लंबे समय से ईयर फोन का प्रयोग कर रहे हैं तो इससे काम की नसें थक जाती हैं। इसका पता नहीं चल पाता क्योंकि ये इलैक्ट्रिक इम्पल्स पर काम करती हैं और ज्यादा देर तक ईयर फोन का इस्तेमाल करने से नर्वफटीग का खतरा बढ़ जाता है।
10. हर रोज 4 से 5 युवा मरीज इस रोग से ग्रस्त आते हैं, जिनका एक ही कारण मोबाइल फोन के इस्तेमाल से हियरिंग लॉस होना होता है। ऑडियोमिट्री के जरिए ऊंचा सुनने की जांच में 25 से 30 प्रतिशत मरीज इस बीमारी से ग्रसित हैं। नसें डैमेज होने के कारण इसका उपचार संभव नहीं है।