कोरोना की तीसरी लहर का खतरा है या नहीं इसे लेकर कई तरह के शोध सामने आ रहे हैं। अलग-अलग वैज्ञानिक अपने शोध और आधार पर तीसरी लहर को लेकर संभावना जता रहे हैं। राष्ट्रीय प्रबंधन आपदा के अनुसार सितंबर-अक्टूबर में तीसरी लहर आ सकती है। वहीं आईसीएआर (ICMR)के तहत कोरोना की तीसरी लहर सितंबर से अक्टूबर के बीच आ सकती है पर दूसरी लहर के मुकाबले यह बहुत अधिक खतरनाक नहीं होगी। वहीं आईआईटी कानपुर के सिनियर वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल द्वारा शोध के आधार पर कई तरह की रिपोर्ट जारी की गई और वह सही साबित हुई। हाल ही एक गणितीय सूत्र मॉडल के तहत कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई है। वेबदुनिया से चर्चा कर उन्होंने बताया किस तरह होगा कोरोना की तीसरी लहर का रूख।
कोरोना की तीसरी लहर के बारे में वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि, 'तीसरी लहर की संभावना तब कम है जब भारत में डेल्टा वेरिएंट ही रहता है। और कोई नया वेरिएंट नहीं आता है। इसके स्थान पर तो कोरोना के केस कुछ बढ़ेंगे लेकिन बहुत हद तक नहीं। वहीं अगर म्यूटेशन की बात की जाए तो वह लगातार हो रहा है।लेकिन डेल्टा से अधिक संक्रमण फैलाने वाला हो वो अभी तक नहीं आया है। बीच में डेल्टा प्लस की चर्चा भी हुई थी लेकिन वह बहुत अधिक संक्रामक नहीं है। मुख्य रूप से हर जगह डेल्टा ही है।'
वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि, ' हम अनुमान लगाते है कि यदि कोई नया म्युटेंट आता है डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक। उस अनुसार भी अनुमान लगाया है कि यदि डेल्टा से भी अधिक तेजी से फैलने वाला वेरिएंट आता है तो तीसरी लहर जरूर आएगी। लेकिन संख्या बहुत अधिक नहीं होगी दूसरी लहर के बराबर नहीं लेकिन पहली लहर के अनुपात में हो सकती है।'
लॉक से अनलॉक की प्रक्रिया से बहुत अधिक कोविड केस में अंतर नहीं पड़ेगा। कुछ राज्य जहां पर सीरो पॉजिटीव बहुत अधिक है। ICMR के सीरो सर्वे द्वारा निकल कर आया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार राज्यों में सीरो पॉजिटिव भी अधिक है।तो यहां तीसरी लहर की संभावना कम हो जाती है। वहीं अगर केरल की बात की जाए तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां पर सीरो पॉजिटीव बहुत अधिक नहीं है। मप्र की बात की जाएं तो वहां पर करीब तीन चौथाई लोगों में इम्यूनिटी आ चुकी है। मप्र हर्ड इम्यूनिटी के काफी नजदीक है वहीं केरल अभी इससे बहुत दूर है। तो ऐसे में संक्रमण का खतरा अधिक है। लेकिन संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा कारण डेल्टा वेरिएंट है। अगर वह म्यूटेट होता है तो संभावना अधिक है।'
'दूसरी लहर के दौरान तीन चौथाई में इम्यूनिटी नहीं थी लेकिन अब तीन चौथाई में इम्यूनिटी आ चुकी है। तो खतरा टल भी सकता है।' वहीं तीसरी लहर के दौरान बूस्टर डोज की बात की जा रही है लेकिन वयस्क लोगों को पहले दोनों डोज लग जाए। आगे इस पर चर्चा जारी है।'
तीसरी लहर में बच्चों को कितना खतरा है?
वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि, 'जैसा की एम्स के डॉ गुलेरिया ने काफी अच्छे से बताया है कि जो बच्चे है उनमें संक्रमण फैलता है। बच्चों में भी संक्रमण फैला है।लेकिन बच्चों पर संक्रमण का बहुत अधिक प्रभाव नहीं होता। बहुत कम बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया। अगर बच्चों में कोमोरबिडिटी हो तो परेशानी होती है।