भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के 100 से अधिक देशों के 60 करोड़ से अधिक लोग आज भी होम्योपैथी पद्धति से उपचार कराते हैं। इसके उपचार के आश्चर्यजनक परिणामों के फलस्वरूप इस पद्धति से इलाज कराने का चलन बढ़ रहा है।
डॉक्टरों का मानना है कि भले ही होम्योपैथी का जन्म जर्मनी में हुआ लेकिन भारत इस चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में अगुआ बनकर उभरा है। सरकार द्वारा होम्योपैथी को बढ़ावा देने से हाल के वर्षों में होम्योपैथी के प्रचलन में दस गुना वृद्धि हो गई है।
हाल के वर्षों में किए गए अनुसंधानों से यह साबित हो गया है कि होम्योपैथी से पुरानी से पुरानी बीमारियों में फायदा हुआ है और खासकर कैंसर जैसी घातक बीमारी में मरीज को नई ऊर्जा मिली है। इनके अलावा एलर्जी, पाचन तंत्र खासकर आंतों, श्वसन तंत्र तथा त्वचा से संबंधित रोगों के उपचार में भी यह बेहद कारगर है और इसके साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार होम्योपैथी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति है जो 100 से अधिक देशों के साठ करोड़ से अधिक लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है।
अस्पतालों में होम्योपैथी के लिए की जाने वाली प्रैक्टिस को भी मान्यता देकर उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इनमें होम्योपैथी के अलावा आयुर्वेद, यूनानी, योग और नेचुरोपैथी को भी शामिल करना चाहिए।