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घरेलू उपचारों का अत्यधिक इस्तेमाल: हमेशा प्रभावी नहीं

हमें फॉलो करें घरेलू उपचारों का अत्यधिक इस्तेमाल: हमेशा प्रभावी नहीं
प्राकृतिक जड़ी-बुटियों और खनिजों से बने आयुर्वेदिक रसायन काफी शोध के बाद तैयार किए जाते हैं, जो थोड़ी मात्रा में घरेलु उपचारों के साथ अद्भुत कार्य करते हैं। लेकिन यह सर्वमान्य सत्य नहीं है क्योंकि दादी नानी के नुस्खे हमेशा प्रभावशाली साबित नहीं होते हैं।

महर्षि आयुर्वेद हॉस्पिटल नईदिल्ली के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सौरभ शर्मा के मुताबिक सामान्य बीमारियों में कुछ हद तक इन ‘घरेलु उपचारों’ का इस्तेमाल अच्छा है, लेकिन आप सभी विकारों को इनसे ठीक नहीं कर सकते।
रसोई में तैयार किए गए घरेलु उपचारों में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक तत्व नहीं होते हैं, कभी-कभी इनमें सामान्य से अधिक या कम होते हैं। इसलिए, घरेलु उपचार का अत्यधिक इस्तेमाल हमेशा प्रभावशाली नहीं होता है। साथ ही, सीमित मात्रा में घरेलु उपचारों का अच्छी तरह से शोघ कर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों से तैयार किए गए आयुर्वेदिक रसायनों के साथ मिश्रण अद्भुत परिणाम दे सकता है।

लॉकडाउन में था घरेलू उपचारों पर ही भरोसा
कोविड-19 के दौरान, चूंकि लोग ज्यादातर घरों में रह रहे हैं, घरेलु उपचारों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था। इसके अलावा, कोविड-19 से मुकाबला करने में रोग प्रतिरक्षा की भूमिका को देखते हुए, लोग बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटी आधारित घरेलु उपचार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए, घरेलू उपचारों के सही इस्तेमाल को सीखना और इनके अत्यधिक इस्तेमाल से बचना महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति और प्रकार अलग होता है। इसलिए सभी को एक सरीखा उपचार देने से फायदा नहीं होता।

घरेलु उपचार और रसायनों का आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य
डिजिटल संसार में लोग केवल एक क्लिक द्वारा घरेलू उपचार एवं प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। घरेलू उपचारों का चलन इसलिए भी तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सा बीमारी का स्थाई समाधान देने में सक्षम है।
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वर्चुअल वर्ल्ड में जानकारी तो बहुत मिलती है लेकिन क्या लेना है और क्या छोड़ना है इसका भान नहीं रहता है। यही वजह है कि इंटरनेट से हासिल की गई जानकारी को किसी विशेषज्ञ के साथ टैली कर लेना ठीक होता है। अन्यथा अज्ञानता के कारण, अक्सर घरेलु उपचारों का अत्यधिक इस्तेमाल करने के कारण बहुत सी समस्याओं में पड़ जाते हैं।

डिटॉक्ट करने में आयुर्वेद का कोई सानी नहीं
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की विशेषताओं वाले औषधीय पौधों और मसालों की विभिन्न किस्मों के संयोजन के साथ जब विशिष्ट आहार और जीवनशैली में बदलाव को अपनाया जाता है तो शरीर, मन और आत्मा में पुनः संतुलन स्थापित किया जा सकता है। घातक रसायनों के विषैले प्रभावों से शरीर को बाहर लाने में प्राकृतिक साधनों का कोई सानी नहीं है।

इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेदिक नुस्खों का लोहा मानता है आधुनिक चिकित्सा विज्ञान
समय-परीक्षणित प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों की अच्छाई और सहक्रियात्मक संयोजन से समृद्ध है।
  • यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है
  • समय से पहले बूढ़ा होने की प्रक्रिया को धीमा करती है
  • प्राणशक्ति में सुधार करती है
  • तनाव कम करती है, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है
  • आंतरिक संतुलन को पुनः स्थापित कर मानसिक सतर्कता को बेहतर बनाती है।
घरेलू उपचार सभी को फायदा नहीं देते
घरेलु उपचार का अत्यधिक इस्तेमाल हमेशा सुरक्षित और प्रभावी नहीं हो सकता है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए अलग होता है। यह किसी एक के लिए प्रभावी है, लेकिन दूसरे के लिए भी प्रभावी हो जरूरी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी का शरीर एक जैसा नहीं बना होता है और ना ही जड़ी बूटियों का प्रभाव सभी पर एक समान नहीं पड़ता है। किसी के शरीर की प्रतिक्रिया सकारात्मक हो सकती है तो किसी अन्य की नकारात्मक भी हो सकती है।

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