देशी खान-पान, शुद्ध और ताजी हवा और शारीरिक मेहनत। यही वो सूत्र था कि हमारे पूर्वज कभी बीमार नहीं पड़ते थे और न ही उन्हें केंसर, शुगर, दिल का दौरा आदि बीमारियां नहीं होती थी।
ऐसे लोगों को कोई बीमारी नहीं होती थी तो उनके बेटों और पोतों में भी रोग की कोई संभावना नहीं रहती थी।
जिन बीमारियों को आजकल हम जेनेटिक कहते हैं, वे दरअसल हमें अपने पूर्वजों से ही अनुवांशिक तौर पर मिलती थी। यानि अगर हमारे पूर्वजों की लाइफस्टाइल या कहें कि जीवनशैली खराब होती थी तो उन्हें बीमारियां लग जाती थी, और वही रोग जींस की मदद से हमारे शरीर में भी चली आती थी।
लेकिन क्या कहा जाए अगर कोई हमारे पूर्वजों को कोई भी बीमारी नहीं हो और फिर भी हम जानलेवा बीमारियों से ग्रसित हो जाएं। यानि हमारे बाप-दादा को कोई भी बीमारी नहीं थी, लेकिन हमें हो रही हैं। कहा तो यह जाता है
ज्यादातर बीमारियां जेनेटिक होती है, लेकिन जिनका जेनेटिक इतिहास नहीं है, उन्हें क्यों हो रही बीमारियां।
इसका जवाब बेहद आसान है और बेहद सरल भी। हमारी लाइफस्टाइल। हम अपनी लाइफस्टाइल से वो बीमारियां पैदा कर रहे हैं, जो हमारे पूर्वजों को भी नहीं थी।
डॉक्टर गुजराती के मुताबिक आमतौर पर बीमारियां जेनेटिक होती हैं, यानि अगर किसी के दादा या परदादा को दिल का दौरा, कैंसर या शुगर रहा है तो उनके बेटों और पोतों में भी यह चली आती हैं, जींस की वजह से यह स्वाभाविक है, लेकिन अब जिनके वंशजों में कोई बीमारी नहीं रही है, वो भी अपनी जीवनशैली और खराब आदतों की वजह से ऐसी बीमारियां पैदा कर रहे हैं।
क्या है खराब लाइफस्टाइल?
हम अगर अपने पूर्वजों यानि अपने दादाजी या उनके पिता जी की जीवनशैली के बारे में पता लगाएं तो हमें बेहद आसानी से समझ में आ जाएगा कि हमारी लाइफ स्टाइल खराब कहां और क्यों है।
ऐसे करें लाइफस्टाइल की तुलना
क्या आपके दादाजी पित्जा, बर्गर, बैक समोसा, चाइनीज फूड, मोमोज, कोल्ड्रिंक्स आदि खाते और पीते थे। जवाब होगा, नहीं। क्या यह सब आप खाते हैं, जवाब होगा हां। जाहिर है आपकी खानपान शैली खराब है।
क्या आपके दादाजी आधी रात तक जागते थे, सुबह 10 बजे तक उठते थे। क्या हो हर वक्त बाइक या कार से घूमते थे। जवाब होगा, नहीं। लेकिन आप यह सब करते हैं, जाहिर है आपका शैड्यूल खराब है।
क्या आप संतरा, अनानास, कैला, तरबूज, खरबूज, गन्ना, एप्पल, मौसंबी आदि मौसमी फलों का सेवन उतने ही चाव के साथ करते हैं, जितना आप पित्जा और बर्गर और अन्य फास्टफूड खाते हैं। जवाब होगा, नहीं। जाहिर है आप अपने फलों की प्रकृति से कट चुके हैं।
क्या आप खेतों में काम करते हैं, या अपने पूर्वजों जितनी मेहनत करते हैं, पैदल चलते हैं। साइकिल चलाते हैं। जवाब होगा, ज्यादा से ज्यादा आप बस जिम पर निर्भर रहते हैं। इसका साफ मतलब है कि आप जीवन के प्रति सकारात्मक नहीं है। जाहिर है आप उस तरह से नहीं जीते हैं जिस तरह से प्रकृति के साथ आपके नाना, दादा और उनसे भी पहले के लोग जीते थे। आप प्रकृति से ठीक उलट काम करते हैं और जीते हैं। स्पष्ट है आपकी लाइफस्टाइल बेहद बुरी है।
बस, यही कारण है कि आपको नई नई बीमारियां घेर लेती हैं। आप डॉक्टरों और अस्पताल के चक्कर काटते रहते हैं और दवाईयों पर निर्भर हो गए हैं। यहां तक कि जेनेटिक नहीं होने के बावजूद आपको नित नई बीमारियां लग रही हैं।