Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इस बार पर्यावरण दिवस की थीम है 'बीट प्लास्टिक', जानिए कितना खतरनाक है प्लास्टिक

हमें फॉलो करें इस बार पर्यावरण दिवस की थीम है 'बीट प्लास्टिक', जानिए कितना खतरनाक है प्लास्टिक

निवेदिता भारती

- निवेदिता भारती 
 
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं जिनमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपके हर पल पर कब्जा कर रखा है। 
 
टूथब्रश से सुबह ब्रश करना हो या ऑफिस में दिन भर कम्प्यूटर पर काम, बाजार से कोई सामान लाना हो या टिफिन और वॉटर बॉटल में खाना और पानी लेकर चलना। प्लास्टिक हर जगह है, हर समय है। आइए पहले जानते हैं प्लास्टिक से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो पर्यावरण के प्रति प्लास्टिक से उपजे खतरे की तस्वीर साफ करते हैं। 
पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं। प्लास्टिक केमिकल बीपीए शरीर में विभिन्न स्त्रोतों से प्रवेश करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 6 साल से बड़े 93 प्रतिशत अमेरिकन जनसंख्या प्लास्टिक केमिकल BPA ( कुछ किस्म का प्लास्टिक साफ और कठोर होती है, जिसे बीपीए बेस्ड प्लास्टिक कहते हैं, इसका इस्तेमाल पानी की बॉटल, खेल के सामान, सीडी और डीवीडी जैसी कई वस्तुओं में किया जाता है ) को अवशोषित कर लेती है। 
 
अरबों पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी के पानी स्त्रोतों खासकर समुद्रों में पड़ा हुआ है। 50 प्रतिशत प्लास्टिक की वस्तुएं हम सिर्फ एक बार काम में लेकर फेंक देते हैं। प्लास्टिक के उत्पादन में पूरे विश्व के कुल तेल का 8 प्रतिशत तेल खर्च हो जाता है।  प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1,000 साल तक लगते हैं। प्लास्टिक के एक बेग में इसके वजन से 2,000 गुना तक सामान उठाने की क्षमता होती है। 
 
हम जो कचरा फैंकते हैं उसमें प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा होता है। क्या आप ने कभी सोचा यह कचरा जाता कहां हैं? आप कहेंगे अचानक इस सवाल की जरूरत कैसे आन पड़ी। 
 
सवाल का जवाब पाने के लिए करते हैं थोड़ा इंतजार और पहले प्लास्टिक से जुड़े कुछ और तथ्यों पर नजर डालते हैं। पृथ्वी पर सभी देशों में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना बढ़ चुका है कि वर्तमान में प्लास्टिक के रूप में निकलने वाला कचरा विश्व पर्यावरण विद्वानों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। विकसित देश अक्सर भारत जैसे विकासशील या अन्य विभिन्न अविकसित देशों में इस तरह का कचरा भेज देते हैं। अथवा ऐसे कचरे को जमीन में भी दबा दिया जाता है। जमीन में दबा यह कचरा पानी के स्त्रोतों को प्रदूषित कर हमारे जीवन के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आता है। प्लास्टिक की चीजें, जितनी भी आप सोच सकते हैं, अक्सर ही पानी के स्त्रोतों में बहुत ज्यादा मात्रा में पड़ी मिलती हैं। 
 
प्लास्टिक नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल होता है। नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुंच पाते जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।  कचरे की रिसायकलिंग बेहद जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक  छोटी सी पोलिथिन को भी पूरी तरह से छोटे पार्टिकल्स में तब्दील होने में हजारों सालों का समय लगता है और इतने ही साल लगते हैं प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को गायब होने में। 
 
जब प्लास्टिक को कचरे के तौर पर फेंका जाता है यह अन्य चीजों की तरह खुदबखुद खत्म नहीं होता। जैसा कि हम जानते हैं इसे खत्म होने में हजारों साल लगते हैं यह पानी के स्त्रोतों में मिलकर पानी प्रदुषित करता है। 
 
प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल्स से मिलकर बनते हैं। जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है। प्लास्टिक बैग्स बनाने में जायलेन, इथिलेन ऑक्साइड और बेंजेन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। इन केमिकल्स से बहुत सी बीमारियां और विभिन्न प्रकार के डिसॉडर्स हो जाते हैं। प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक होते हैं जिससे इंसान, जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं।  प्लास्टिक को जलाने और फेंकने पर जहरीले केमिकल्स का उत्सर्जन होता है। 
 
कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भूल जाएं मोटापा, बढ़ाएं 6 कदम, छरहरी काया की तरफ...