उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर पौराणिक काल के कई प्रसिद्ध और चमत्कारिक स्थान है। यहां पर माता के 3 चमत्कारिक स्थान है। पहला मायादेवी शक्तिपीठ, दूसरा चंडी देवी मंदिर और तीसरा मनसा देवी मंदिर। आओ जानते हैं चंडी देवी मंदिर के बारे में।
हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है। दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती। कहते हैं कि यहीं पर सती योग अग्नि में भस्म हुई थीं और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं। यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सती का मन गिरा था इसलिए यह स्थान मनसा नाम से प्रसिद्ध हुआ।
चंडी देवी मंदिर :
1. गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह चंडी देवी मंदिर बना हुआ है।
2. यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में प्राचीन स्थान पर बनवाया गया था।
3. किवदंतियों के अनुसार चंडी देवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था।
4. यहीं पर आदिशंकराचार्य ने चंडी देवी की मूल प्रतिमा स्थापित करवाई थी।
5. चंड मुंड के वध के बाद माता ने देवताओं से वर मांगने को कहा। स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने माता को इसी स्थान पर विराजमान रहने का वर मांगा।
6. यहां पर मां रुद्र चंडी एक खंभे के रूप में स्वयंभू अवतरित है।
7. मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख पांच तीर्थों में से एक तीर्थ स्थल है।
8. मां चंडी देवी मंदिर में मां की आराधना भक्तों को अकाल मृत्यु, रोग नाश, शत्रु भय आदि कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाली और प्रत्येक प्रकार की मनोकांक्षा पूर्ण कर अष्ट सिद्धि प्रदान करने वाली है।
9. नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है और देश विदेश से लोग यहां पर मन्नत मांगने आते हैं।