भारत की सप्तपुरियों में से एक हरिद्वार को मायापुरी भी कहा जाता है। पहाड़ों से निकलकर गंगा यहां मैदानी क्षेत्र में उतरकर आगे बढ़ती है। यहां पर हर की पौड़ी पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहीं पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान बताए जाते हैं। यहीं पर ब्रह्मकुंड भी है। हरिद्वार में मनसादेवी, चंडीदेवी, मायादेवी नाम से शक्ति त्रिकोण है। यही पर दक्ष मंदिर, सप्तऋषि आश्रम और कई प्राचीन मंदिर व आश्रम है। आओ इस बार जानते हैं पारद शिवलिंग के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
पारद शिवलिंग:-
1. हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में स्थित है पारदेश्वर महादेव का मंदिर, जिसके दर्शन करने के लिए कई लोग आते है। यह हरिद्वार से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है और प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं।
2. बताया जाता है कि यह शिवलिंग 150 किलो ग्राम पारद से बना है। मारत मरक्यूरी (Mercury) कहते हैं। यह पारा होता है। पारे के बारे में तो प्राय: आप सभी जानते होंगे कि पारा ही एकमात्र ऐसी धातु है, जो सामान्य स्थिति में भी द्रव रूप में रहता है। मानव शरीर के ताप को नापने के यंत्र तापमापी अर्थात थर्मामीटर में जो चमकता हुआ पदार्थ दिखाई देता है, वही पारा धातु होता है। पारद शिवलिंग इसी पारे से निर्मित होते हैं। पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है फिर तत्काल उसके शिवलिंग बना लिए जाते हैं।
3. मंदिर प्रांगण में रुद्राक्ष का एक पेड़ भी लगा है, जिसे देखने मुख्य रूप से लोग यहां जाते हैं। यहां महाशिवरात्रि में मेला भी लगता है। हरिद्वार में हरिहर आश्रम गंगा के किनारे स्थित है। यह हरिद्वार से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है कनखल में है। इस आश्रम में तीन बड़े दर्शनीय स्थान है। पहला मृत्युंजय महादेव का मंदिर, दूसरा परदेश्वर मंदिर और तीसरा रुद्राक्ष का वृक्ष। जूना अखाड़ा के पंच दशानन अखाड़े का यह आश्रम है जिसे हरिहर आश्रम कहा जाता है।
4. पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
5. पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं। पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है। पारद शिवलिंग से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। रुद्र संहिता में यह विवरण प्राप्त होता है कि रावण रसायन शास्त्र का ज्ञाता और तंत्र-मंत्र का विद्वान था। उसने भी रसराज पारे के शिवलिंग का निर्माण एवं पूजा-उपासना कर शिवजी को प्रसन्न किया था।