Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Varuni Yog 2021 : वारुणी योग में करें कुंभ स्नान, मिलेगा कई यज्ञों का फल

हमें फॉलो करें Varuni Yog 2021 : वारुणी योग में करें कुंभ स्नान, मिलेगा कई यज्ञों का फल

अनिरुद्ध जोशी

8 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि 3 बजकर 16 मिनट से 9 अप्रैल सूर्योदय से पहले 4 बजकर 57 मिनट तक वारुणी योग रहेगा। स्थानभेद से समयभेद भी हो सकता है। अन्य पंचांगों के अनुसार रात्रि 4 बजकर 8 मिनट से प्रात: 5 बजकर 52 मिनट तक वारुणी योग रहेगा। वारुणी योग को वारुणी पर्व भी कहा जाता है। आओ जानते हैं कि क्या है वारुणी योग और कुंभ या तीर्थों में स्नान का क्या है इस योग में महत्व।
 
 
वारुणी योग : वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक अत्यंत पुण्यप्रद महायोग कहा जाता है। इसका वर्णन विभिन्न पुराणों में भी मिलता है। यह महायोग तीन प्रकार का होता है, चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र यानी शतभिषा हो तो वारुणी योग बनता है। चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र और शनिवार हो तो महावारुणी योग बनता है और चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ नामक योग हो तो महा-महावारुणी योग बनता है। वैदिक ज्योतिष में इस योग को अत्यंत दुर्लभ माना गया है। 
 
1. वरूणी पर्व व्रत का पक्षः- कृष्ण पक्ष, व्रत का मासः- चैत्र मास, व्रत के देवताः- भगवान श्री हरि, पूजा का समयः- प्रातः काल। इस बार व्रत का दिन शुक्रवार है। व्रत की पूजा विधिः- षोड़षोपचार या पंचोपचार विधि व्रत के मंत्रः- श्री परमात्मने नमः।
 
2. धर्मसिंधु ग्रंथ में कहा गया है कि इस पर्व पर तीर्थ में स्नान और दान करने से अनंत गुना शुभ फल मिलता है। जो कि कई यज्ञों और बड़े पर्वों पर दान के बराबर होता है।
 
3. इस योग में गंगा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से करोड़ों सूर्य-चंद्र ग्रहणों में किए जाने वाले जप-अनुष्ठान के समान शुभ फल प्राप्त होता है। वारुणी योग में गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है।
 
4. इस समयावधि के दौरान कुछ विशेष उपाय करके अपने जीवन को सुखी-समृद्धिशाली बनाया जा सकता है। 
 
5. इस शुभ योग में तीर्थों पर नदियों में नहा के भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे हर तरह के सुख मिलते हैं। वारुणी योग में भगवान शिव की पूजा से मोक्ष मिलता है। इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं, बेलपत्र की माला अर्पित करें। शिवलिंग पर एक जोड़ा केला चढ़ाएं और वहीं बैठकर शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इससे शीघ्र विवाह का मार्ग खुलता है। किसी विशेष मंत्र की सिद्धि करना हो तो इस दिन जरूर करें, मंत्र जल्दी सिद्ध होता है।
 
6. इस दिन मंत्र जप, यज्ञ, करने का बड़ा महत्व है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन किए गए एक यज्ञ का फल हजारों यज्ञों के जितना मिलता है। अगर पवित्र नदियों में नहीं नहा सके तो घर में ही पवित्र नदियों का पानी डालकर नहाएं। 
 
7. इस योग में शिक्षण-प्रशिक्षण प्रारंभ करना, स्कूल खोलना, कोचिंग क्लास शुरु करना, नया काम धंधा व्यापार शुरू करना या कोई नया कार्य शुरू करने से सफलता मिलती है। इस योग में नया मकान, दुकान, प्लॉट आदि खरीदना भी शुभ माना गया है।
 
8. समुद्र मंथन से एक से एक बेशकीमती रत्न निकले थे लेकिन उनमें 14 तरह के रत्न खास थे। जैसे सबसे पहले निकला हलाहल विष, केमधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, लक्ष्मी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख, धन्वंतरि वैद्य और अमृत, लेकिन एक और चीज निकली थी वारुणी।  जल से उत्प‍न्न होने के कारण उसे वारुणी कहा गया। वरुण का अर्थ जल। वरुण की पत्नी को वरुणी कहते हैं। कहते हैं कि यह समुद्र से निकली मदिरा की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई और वही वरुण देवी की पत्नी वारुणी बनी। चरकसंहिता के अनुसार वारुणी को मदिरा के एक प्रकार के रूप में बताया गया है जो समुद्र से उत्पन्न हुई थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भगवान श्री गणेश की 2 पत्नियां कौन हैं, जानिए कैसे हुआ विवाह