कुंभ मेले में सामान्य स्नान और शाही स्नान की अलग अलग तिथियां होती हैं। पहले 14 जनवरी मकर संक्रांति का स्नान निकल गया। इसी तरह 11 फरवरी मौनी अमावस्या का और 16 फरवरी वसंत पंचमी का स्नान भी निकल गया। 27 फरवरी माघ पूर्णिमा पर सामान्य स्नान है। इसके बाद 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन, 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा को शाही स्नान होगा। जानिए माघ पूर्णिमा के स्नान के महत्व। आओ जानते हैं माघ पूर्णिमा के दिन के स्नान के 5 फायदे।
1. माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।
2. हरिद्वार में ब्रह्मकुंड को हर की पौड़ी भी कहा जाता है। यह सबसे खास घाट माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि यहीं पर समुंद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें कलश से छलक कर गिरीं थीं। कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से करोड़ों जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
3. माघ मास में यहां स्नान करने से अर्थ काम मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है। इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती। इसी घाट पर विष्णु के पद चिन्ह होने की बात भी कही जाती है।
4. माघ पूर्णिमा के दिन विधिवत स्नान करने और मां गंगा की पूजा करने से जातक की सभी तरह की मनोकामनापूर्ण होती है।
5. पूर्णिमा के दिन जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। माघ पूर्णिमा पर इस बार शनि और गुरु का संयोग रहेगा। सूर्य और शुक्र का संयोग भी बना रहेगा। इसीलिए इस दिन स्नान का ज्यादा महत्व है। अत: इस दिन विधिवत स्नान और दान से चंद्र दोष दूर होकर सभी ग्रहों का अच्छा प्रभाव मिलता है। इस दिन सभी ग्रहों के वस्तुओं का दान करना चाहिए ताकि निरोग की प्राप्त हो।
उल्लेखनी है कि माघ मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी को दोपहर 05 बजकर 49 मिनट से हो रहा है, जो 27 फरवरी दिन शनिवार को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक है। ऐसे में पूर्णिमा का चांद 26 फरवरी को ही दिखाई देगा, इसलिए माघ पूर्णिमा का व्रत और स्नान दान 26 फरवरी को किया जाएगा। हालांकि 27 फरवरी हो ही स्नान होगा, क्योंकि स्नान का समय प्रात:काल ही होता है।