Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

गुजरात में कांग्रेस की मजबूत माने जाने वाली 27 आदिवासी सीटों पर भाजपा की नजर

हमें फॉलो करें गुजरात में कांग्रेस की मजबूत माने जाने वाली 27 आदिवासी सीटों पर भाजपा की नजर
, शनिवार, 5 नवंबर 2022 (16:37 IST)
अहमदाबाद (गुजरात)। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 विधानसभा सीटों वाले पूर्वी गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में भाजपा ने अभी तक बहुत ज्यादा चुनावी सफलता हासिल नहीं की है, क्योंकि कांग्रेस ने वहां अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है।
 
राज्य में लगातार छह विधानसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा को अब लगता है कि अगले महीने के चुनावों में वह इन 27 में से कम से कम 20 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है, क्योंकि आदिवासी आबादी विकास चाहती है। इसके अलावा, पार्टी को उम्मीद है कि वह क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुना सकती है।
 
सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि कांग्रेस का चुनाव अभियान इस वक्त मंद है और आम आदमी पार्टी (आप) के मुकाबले में आने से कांग्रेस के वोट कटेंगे। बहरहाल, कांग्रेस का मानना है कि आदिवासी आबादी इस बार भी उसके पक्ष में वोट करेगी, क्योंकि उसे कांग्रेस की पिछली सरकारों द्वारा इस समुदाय के उत्थान के लिए किए गए ‘अच्छे काम’ याद हैं।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षक दावा कर रहे हैं कि राज्य में अन्य जगहों पर कमजोर स्थिति में होने के बावजूद आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ बनी रहेगी। 2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात में आदिवासियों की आबादी 89.17 लाख के करीब थी, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत है। गुजरात के 14 पूर्वी जिलों में अच्छी-खासी आदिवासी आबादी है।
 
राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव एक और 5 दिसंबर को दो चरणों में होंगे। मतगणना 8 दिसंबर को की जाएगी। राजनीतिक दलों के लिए उत्तर में अंबाजी से लेकर दक्षिण में उमरगांव तक फैले आदिवासी क्षेत्र में जीत हासिल करना पूर्वी गुजरात क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए अहम माना जाता है।
 
भाजपा 2002 से आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभुत्व को तोड़ने का प्रयास कर रही है। ‘आप’ भी इस क्षेत्र पर नजर गड़ाए हुए है। राज्य में 2017 के चुनावों में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित इन 27 सीटों में से कांग्रेस ने 15, भाजपा ने 8, छोटू वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने दो और निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट पर जीत हासिल की थी।
 
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और ‘आप’ के आने के बावजूद आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा कायम रहेगा। राजनीतिक पर्यवेक्षक हरी देसाई ने कहा कि गुजरात के गठन के बाद से ही कांग्रेस का आदिवासी इलाकों में दबदबा रहा है। राज्य के कई अन्य हिस्सों में कमजोर प्रदर्शन के बावजूद आदिवासी इलाकों में पार्टी का प्रभाव बना रहेगा।
 
देसाई ने दावा किया कि ‘मोदी मैजिक’ अब कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार भी आदिवासी इलाकों में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी का प्रचार व्यापक है।
 
गुजरात सरकार में आदिवासी विकास मंत्री नरेश पटेल ने कहा कि इस बार हम 27 में से कम से कम 20 सीटें जीतने जा रहे हैं। आदिवासी अब जागरूक हो गए हैं और वे क्षेत्र में विकास चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के काम ने उन्हें आदिवासियों के बीच लोकप्रियता दिलाई है।
 
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि आदिवासी आबादी कांग्रेस के लिए वोट करती है, क्योंकि उसे उसके उत्थान के लिए हमारे द्वारा किया गया अच्छा काम याद है। हम भाजपा की तरह बड़े-बड़े वादे नहीं करते हैं। उन्होंने 27 साल शासन किया, लेकिन आदिवासी इलाकों का विकास नहीं किया।
 
कांग्रेस चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए बीटीपी से भी बातचीत कर रही है, जिससे फायदा मिलने की उम्मीद है। वसावा की पार्टी ने 2017 के चुनावों में दो सीटें जीती थीं। पहले ‘आप’ ने भी बीटीपी से गठबंधन करके आदिवासी क्षेत्र में पकड़ बनाने की कोशिश की थी, लेकिन बीटीपी ने बाद में गठबंधन तोड़ दिया था।
 
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राज्य के आदिवासी क्षेत्र में तीन से चार रैलियों को संबोधित किया है। उन्होंने आदिवासी मतदाताओं से ‘आप’ के पक्ष में मतदान करने की अपील की है। (भाषा) 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोदी बोले, प्रत्येक वोट अगले 25 वर्षों में हिमाचल प्रदेश की विकास यात्रा को करेगा परिभाषित