नई दिल्ली। गुजरात में भाजपा ने भले ही बहुमत हासिल कर लिया हो, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने ऐसा माहौल बना दिया था कि लग रहा था कि कहीं गुजरात में सत्ता परिवर्तन न हो जाए। राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। एक समय लग रहा था कि गुजरात की जीत से कांग्रेस को 'संजीवनी' मिल सकती है, लेकिन मणिशंकर अय्यर के एक बयान ने हवा का रुख भाजपा की ओर मोड़ दिया। मोदी ने व्यक्तिगत टिप्पणी को गुजरात का प्रतिष्ठा बनाकर लोगों को पेश कर भावनात्मक रूप से लोगों को जोड़ लिया।
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भी सूरत के कपड़ा व्यापारियों में नाराजगी थी और भाजपा को यहां झटका लग सकता था, लेकिन मोदी ने लोगों का ध्यान इन मुद्दों से उठाकर व्यक्तिगत कर दिया। यहां जीएसटी को लेकर व्यापारियों ने आंदोलन भी किया था। मणिशंकर अय्यर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'नीच' कहने वाले बयान ने दूसरे चरण में भाजपा को ऐसा मुद्दा दिया, जिसने लोगों को भावनात्मक रूप से भाजपा के साथ जोड़ दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत टिप्पणी को गुजरात के लोगों के मान-सम्मान से जोड़ दिया। नरेन्द्र मोदी ने सूरत के जिन इलाकों में अपने भाषण में जहां नीच का मुद्दा उठाया वहां 16 में से 15 सीटें भाजपा के खाते में गई। यहां के लोगों में जीएसटी और नोटबंदी को लेकर नाराजगी थी। पहले चरण के चुनाव के बाद कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही थी।
पहले चरण में राहुल गांधी ने जहां सिर्फ 11 रैलियों को संबोधित किया था, वहीं मोदी ने 19 रैलियों को संबोधित किया। राहुल अपनी हर रैली में जनता नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाते और दावा करते कि लोग इससे परेशान हैं। राहुल गांधी बड़े आत्मविश्वास के साथ ये दावा कर रहे थे कि कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव जीत रही है।
भाजपा थिंकटैंक के मन में यह भी आशंका थी कांग्रेस को एंटी इनकमबेंसी फैक्टर का लाभ न मिल जाए। प्रधानमंत्री की धुआंधार रैलियों के साथ ही भाजपा ने दिग्गज नेताओं को गुजरात चुनावों के प्रचार में लगा दिया था। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सुषमा स्वराज तक के बड़े नेताओं ने गुजरात में भाजपा के लिए प्रचार किया। भाजपा और प्रधानमंत्री के लिए गुजरात चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके थे। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए 42 हजार किलोमीटर की यात्रा की। भाजपा के लिए गुजरात की जीत जश्न नहीं बल्कि आत्मंथन करने का मौका है।