14 नवंबर को गोवर्धन पूजा है और इसी दिन शाम को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ होगी जो अगले दिन यानी 14 नवंबर दोपहर 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के मान से 14 नवंबर को ही गोवर्धन पूजा की जाएगी।आओ जानते हैं कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव कैसे मनाते हैं।
कैसे मनाते हैं अन्नकूट उत्सव और गोवधर्न पूजा का यह त्योहार | How Govardhan Puja and Annakoot Festival Celebrate:
- दीपावली के बाद यह दिन परस्पर भेंट का दिन भी होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार मनाते हैं।
- इस दिन परिवार, कुल खानदान के सभी लोग एक जगह इकट्ठे होकर गोवर्धन और श्रीकृष्ण की पूजा करने के बाद साथ में ही भोजन करते हैं और शगुन स्वरूप जुआ भी खेलते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं।
- प्रात:काल भगवान कृष्ण का ऐसा चित्र जिसमें वे गोवर्धन पर्वत हाथ में धारण किए खड़े हों अपने पूजाघर में लगाकर उसकी पूजा की जाती हैं।
- इस दिन प्रात:काल स्नान करने के उपरान्त घर की दहलिज के बाहर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है। पूजा के बाद कई तरह के पकवान बनाकर भोग स्वरूप रखते हैं।
- सायंकाल गोवर्धन विग्रह का पंचोपचार विधि से पूजन करें और 56 प्रकार के पकवान बनाकर भोग अर्पित करें।
- ग्रामीण क्षेत्र में अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है।
- इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराके धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाकर उनका पूजन किया जाता है और गौमाता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारते हैं तथा प्रदक्षिणा भी करते हैं।