पाती तक न पठाई

Webdunia
ND
ऐसी सुधि बिसराई
कि पाती तक न पठाई।
बरखा गई मिलन-ऋतु बीती,
घोर घटा गहरी मन-चीती,
पर गागर रीती की रीती,
अधरों बूंद न आई
प्यास से प्यास बुझाई।

ऐसी सुधि बिसराई
कि पाती तक न पठाई।

रोज उड़ाए काग सवेरे,
रोज पुराए चौक घनेरे,
कभी अँधेरे, कभी उजेरे,
पथ-पथ धूल रमाई,
हुई सब लोक हँसाई।
ऐसी सुधि बिसराई
कि पाती तक न पठाई।

बहकी बगिया, महकी कलियाँ
गूंजे आँगन, झूमीं गलियाँ,
खुलीं न मेरी किन्तु किवरियाँ,
साँकल कौन लगाई
कि खोलत उमर सिराई।

ऐसी सुधि बिसराई
कि पाती तक न पठाई।

मन की कुटिया सूनी-सूनी,
देह बनी चन्दन की धूनी,
बहुत हुई प्रिय, आँख-मिचौनी,
अब तो हो सुनवाई
सुबह संध्या बन आई।

ऐसी सुधि बिसराई
कि पाती तक न पठाई।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

क्या IVF ट्रीटमेंट में नॉर्मल डिलीवरी है संभव या C - सेक्शन ही है विकल्प

कमर पर पेटीकोट के निशान से शुरू होकर कैंसर तक पहुंच सकती है यह समस्या, जानें कारण और बचाव का आसान तरीका

3 से 4 महीने के बच्चे में ये विकास हैं ज़रूरी, इनकी कमी से हो सकती हैं समस्याएं

सभी देखें

नवीनतम

नैचुरल ब्यूटी हैक्स : बंद स्किन पोर्स को खोलने के ये आसान घरेलू नुस्खे जरूर ट्राई करें

Winter Skincare : रूखे और फटते हाथों के लिए घर पर अभी ट्राई करें ये घरेलू नुस्खा

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर लगाएं इन चीजों का भोग, अभी नोट करें

चाहे आपका चेहरा हो या बाल, यह ट्रीटमेंट करता है घर पर ही आपके बोटोक्स का काम

डायबिटीज के लिए फायदेमंद सर्दियों की 5 हरी सब्जियां ब्लड शुगर को तेजी से कम करने में मददगार

More