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बूम इन एविएशन इंडस्ट्री

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हमें फॉलो करें बूम इन एविएशन इंडस्ट्री
- अशोक सिंह

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देश में हाल के वर्षों में एविएशन इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ावा देखने को मिला है। इसके पीछे मूल कारण हवाई क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने की इजाजत देना और इस क्षेत्र में विदेशी निवेश को आमंत्रित करने की नीतियों के क्रियान्वयन को बताया जा सकता है। इसी का नतीजा है कि आज हवाई यात्रियों की कुल संख्या का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा निजी कंपनियों की हवाई सेवा के पास है।

देश में 550 से अधिक एयरपोर्ट और 1100 से ज्यादा रजिस्टर्ड विमान हैं। इनमें से 13 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स भी हैं। इस क्षेत्र में वर्तमान वृद्धि दर 18 प्रतिशत है और आने वाले समय में इसमें अधिक तेजी की भी उम्मीद है।

बजट एयरलाइंस और इनमें आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण देश में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। आँकड़ों पर एक नजर डालें तो जनवरी-फरवरी 2009 में जहाँ 6,761,000 यात्रियों ने हवाई यात्राएँ की तो चालू वर्ष की इसी अवधि में यह संख्या बढ़कर 8,056,000 हो गई जो कि लगभग 19 प्रतिशत अधिक है।

भारतीय हवाई सेवा में आ रहे सकारात्मक बदलावों को देखते हुए एक सर्वेक्षण में बताया गया है कि आगामी दो दशकों में अतिरिक्त 1150 से ज्यादा विमानों की जरूरत पड़ेगी।

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जाहिर है इसी अनुपात में इस उद्योग से जुड़े रोजगार की संख्या में भी इस दौरान बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। विमानन उद्योग में रोजगार का मतलब महज पायलट और एयर होस्टेज से नहीं होता है। इनके अलावा तमाम तरह के अन्य प्रोफेशनल ग्राउंड ड्यूटी और फ्लाइट ड्यूटी के दौरान जरूरी होते हैं। इस प्रकार के मुख्य रोजगार के अवसरों पर जरा एक नजर डालें।

बढ़ते पर्यटन कारोबार, देश में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी और सस्ती एयरलाइंसों के अस्तित्व में आने से हवाई यात्रा करेन वाले लोगों की संख्या में आने वाले समय में तेजी से बढ़ोतरी होगी इसमें निःसंदेह कोई शक नहीं होना चाहिए।

फैक्‍ट्स एंड फि‍गर्स
देश में एयर ट्रैफिक की वृद्धि दर 25 प्रतिशत है जो अन्य देशों से कहीं ज्यादा है।

हाल के वर्षों में भारतीय एविएशन कंपनियों द्वारा सबसे ज्यादा एयरक्राफ्ट के ऑर्डर विभाग निर्माता कंपनियों को दिए हैं।

दक्षिणी एशिया में भारतीय हवाई सेवाओं का हिस्सा 69 प्रतिशत है।

देश भर के एयरपोर्ट्स के आधुनिकीकरण के लिए बड़ी राशि का आवेदन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है। और इसमें निजी क्षेत्र की भी भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

किंगफिशर, जेट एयरलाइन, स्पाइस जेट, फैरापाउंट एयरवेज, गो एयरलाइंस सरीखी प्राइवेट एयरलाइंसों की देश के हवाई रूट्स पर बढ़ती हिस्सेदारी।

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