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खेल के साथ खूबसूरती

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- कपीश दुबे

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दीपिका पल्लीकल का जन्म 21 सितंबर 1991 को हुआ। चेन्नई की इस खिलाड़ी के नाम एक विशेष उपलब्धि दर्ज है। वे योरपीयन और एशियन स्क्वॉश रैंकिंग (अंडर-15) में नंबर एक खिलाड़ी रह चुकी हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि दीपिका ने जब अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट लंदन में खेला तो वे छठी क्लास में पढ़ती थीं।

तब से शुरू हुए सफर में वे योरपियन जूनियर सर्किट में जर्मन ओपन, डच ओपन, फ्रेंच ओपन, ऑस्ट्रेलियन ओपन और स्कॉटिश ओपन जैसे खिताब अपनी झोली में डाल चुकी हैं।

अब दीपिका ने अपने कदम सीनियर वर्ग में भी रखना शुरू किए हैं और इन दिनों वे राष्ट्रकुल खेलों की तैयारियों में लगी हैं। इसके लिए मिस्र के कोच मो. ऐसाम सालेह से ट्रेनिंग ले रही हैं।

यूँ तो दीपिका ने स्क्वॉश कोर्ट में बहुत कामयाबी हासिल की है, लेकिन उनकी लोकप्रियता में खूबसूरती का भी योगदान है। जब भी खेल और खूबसूरती एक साथ होती है तो इसका जादू हर जगह चलता है। टेनिस में रूसी सुंदरी मारिया शारापोवा और एना कुर्निकोवा इसके उदाहरण हैं।

दीपिका की खूबसूरती को देखते हुए उन्हें तमिल फिल्मों के प्रस्ताव भी मिले। इतनी कम उम्र में ऐसे प्रस्ताव और ग्लैमर की चकाचौंध में आँखों से मूल लक्ष्य भटक जाता है, लेकिन दीपिका ने अपनी निगाहें लक्ष्य से नहीं हटाईं। उन्होंने फिल्म के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
हालाँकि वे स्क्वॉश के अलावा मॉडलिंग के लिए भी वक्त निकाल ही लेती हैं। दीपिका ने कई उत्पादों को पहचान दिलाई है। देश ही नहीं श्रीलंका जैसे पड़ोसी मुल्क में भी दीपिका विज्ञापनों में नजर आती हैं। उन्होंने श्रीलंका के एक शीतल पेय के लिए विज्ञापन किया था।

स्क्वॉश खेल से जुड़े वरिष्ठ लोगों की मानें तो उनकी इस सफलता में मुख्य योगदान सुंदरता से ज्यादा अच्छे खेल का है। विशेषज्ञों के अनुसार दीपिका बेहद मजबूत खिलाड़ी हैं और यही उनकी सफलता का कारण है। वे अपनी उम्र की लड़कियों से ज्यादा पॉवर गेम खेलती हैं। इसके अलावा इस लड़की के खेल में चालाकी का भी मिश्रण होता है, जिससे विपक्षी खिलाड़ी समझ ही नहीं पाता की वे कहाँ शॉट खेलेंगी।

यदि वक्त के साथ खेल बेहतर होता जाता है तो खिलाड़ी ज्यादा ऊँचाइयों को छूता है। उम्मीद तो यही है कि दीपिका खेलों की दुनिया की कुर्निकोवा न बनकर रह जाएँ बल्कि वे मारिया शारापोवा की तरह खेल से लेकर ग्लैमर की दुनिया तक सफलता के झंडे गाड़ें।

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