राहुल गांधी, एक चर्चित युवा नेता जिन्होंने राजनीति की रूपरेखा बदली और राजनीति में युवाओं की भागीदारी को बल दिया। उनका मानना है कि आज की युवा शक्ति ही भारत को विकास के पथ पर आगे ले जा सकती है। राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होने से पहले युवा नेतृत्व की बातें जरूर होती थीं, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक दलों के एजेंडे में मुख्य तौर पर शामिल नहीं था, लेकिन राहुल गांधी ने कांग्रेस की ताकत बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर युवाओं को पार्टी में शामिल करने के प्रोग्राम चलाए।
युवा शक्ति से जनाधार बढ़ाने के लिए नवंबर 2008 में राहुल गांधी ने बकायदा इंटरव्यू करके अपनी टीम के 40 सदस्यों का चुनाव किया, जो भारतीय युवा कांग्रेस का काम देखते हैं। आज युवा नेता के तौर पर राहुल सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा हैं और कई युवाओं के आदर्श हैं। राहुल का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में हुआ। उनके पिता देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और उनकी मां सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनकी दादी श्रीमति इंदिरा गांधी भी देश की पूर्व प्रधानमंत्री थी और वे लोगों के लिए एक आदर्श थीं। राहुल की बहन प्रियंका का नाम भी आज यूथ आइकन कि सूची में शामिल है। एक राजनीतिज्ञ परिवार में जन्म होने के कारण शुरू से ही राहुल की रुचि राजनीति में रही है। जो सपना उनकी दादी और पिता ने भारत के लिए संजोया था वे उसे पूरा करना चाहते हैं और इसी कारण वे युवाओं के राजनीति में आने को बल देते हैं। राहुल की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में हुई। इसके बाद वे शिक्षा के लिए दून स्कूल भेजे गए। सूरक्षा कारणों के चलते उन्हें 1981-1983 तक घर पर ही रहकर शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी। फ्लोरिडा के हावार्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने 1994 में कलास्नातक की डिग्री हासिल की। साल 1995 में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से दर्शन शास्त्र में एम फिल किया। इसके बाद उन्होंने तीन साल तक माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी में मानीटर ग्रुप के साथ काम किया। साल 2002 में वे भारत वापस आ गए और मुंबई में अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित कंपनी का संचालन किया। 2003
में राहुल गांधी राजनीति में सक्रिय हुए और इसके एक साल बाद उन्होंने अपनी खानदानी लोकसभा सीट अमेठी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के कई इलाको में आम आदमी के मुद्दों को समझने के लिए यात्राएं कीं। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में भले ही राहुल गांधी का असर उतना नहीं रहा हो, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 80 में से 21 सीटें जीतकर अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारा।दलितों के घर खाना खाना, खटिया पर रात बिताना, भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर आंदोलन करना, आदि राहुल के लोगों से जुड़ने के अपने तरीके हैं। हालांकि विरोधी राजनीतिक दल उनके इस तरीके को ढोंग करार देते हैं, लेकिन राहुल से युवा जुड़ रहे हैं और कांग्रेसी उन्हें बिना किसी विरोध के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में यूपी में अपनी पार्टी की जीत के लिए उन्होंने भरसक कोशिश की लेकिन उनकी ये कोशिशें कामयाब न हो सकीं और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार की सारी जिम्मेदारी अपने सर लेकर उन्होंने एक आदर्श लीडर होने का परिचय दिया। उनके इस बर्ताव से उनके युवा साथियों में भी उम्मीद की नई किरण जागी है। आज भी अगर कहीं राहुल पहुंचते हैं तो उन्हें सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है और उनके इन सुनने वालों में से अधिकांश युवा वर्ग शामिल होता है, और इसी युवा वर्ग ने राहूल को यूथ आइकन के रूप में पहचान दिलाई है।