प्रतिवर्ष 23 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1927 में एक निजी कंपनी ने मुंबई और कोलकाता में दो ट्रांसमीटरों की स्थापना की थी।
रेडियो प्रसार का एक ऐसा माध्यम है जिसकी पहुंच आज टीवी और समाचार पात्र से भी अधिक है। ऐसा माना जाता है कि भारत की जनसँख्या के 99.19 प्रतिशत लोगों तक रेडियो की पहुंच है। इस वर्ष भारत में रेडियो प्रसारण के लगभग 99 वर्ष हो जाएंगे।
आइए जानते हैं भारत में रेडियो के प्रसारण का इतिहास -
1 सर्वप्रथम भारत में रेडियो की शुरुआत 1923 में मुंबई में हुई थी। यहां रेडियो क्लब से इसका प्रसारण होता था।
2 1927 में एक निजी स्वामित्व की कंपनी द्वारा मुंबई और कोलकाता में 2 ट्रांसमीटरों द्वारा प्रसारण किया जाने लगा।
3 1930 में सरकार ने इन्हें अपने अधीन ले लिया और इनका नाम बदलकर भारतीय प्रसारण सेवा कर दिया।
4 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।
5 1957 में इसे आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा।
क्या है वर्तमान रेडियो प्रसारण की विशेषताएं -
भारत का प्रसार भारती आज विश्व के महानतम प्रसारण संस्थाओं में से एक है। यह भारत की 99.19 प्रतिशत जनसंख्या और 92 प्रतिशत क्षेत्रफल को कवर करता है। इसके पूरे भारत में 470 प्रसारण केंद्र हैं। यह 23 भाषाओँ और 179 बोलियों में अलग-अलग कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। एफएम के साथ-साथ यह मीडियम वेव और शार्ट वेव फ्रीक्वेंसी माध्यम से 150 देशों तक अपनी पहुँच रखता है। प्रसार भर्ती का अपना एक एप भी है जिसका नाम NewsOnAir हैं। इस पर इंटरनेट के माध्यम से ऑल इंडिया रेडियो के सभी चैनलों को सुन सकते हैं।