21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है?

WD Feature Desk
International Mother Language Day 
HIGHLIGHTS
 
* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब से मनाया जा रहा है।
* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाना चाहिए।
* जानें अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 की थीम।
 
The International Language Day: प्रतिवर्ष 21 फरवरी को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भाषाओं और भाषाई विविधता को बढ़ावा देना है, लेकिन आज हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए कर सकते हैं। 
 
हमेशा से ही सिर्फ मातृ शब्द की वजह से मातृभाषा का सही अर्थ और भाव समझने में दिक्कत हुई है। मातृभाषा बहुत पुराना शब्द नहीं है, मगर इसकी व्याख्या करते हुए लोग अक्सर इसे बहुत प्राचीन मान लेते हैं। हिन्दी का मातृभाषा शब्द दरअसल अंग्रेजी के मदरटंग मुहावरे का शाब्दिक अनुवाद है। हमें संस्कृतियों और भाषाओं में अंतर को संरक्षित करके दूसरों के प्रति धैर्यशीलता एवं सहनशीलता का परिचय देकर उनके सम्मान को बढ़ावा देना है, जो कि शांति की स्थापना के लिए बेहद जरूरी है। 
 
इस दिन के इतिहास की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा यूनेस्को द्‍वारा सन् 1999 में की गई थी, जो संपूर्ण विश्व में वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मनाया जा रहा है। 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का सुझाव कनाडा में रहनेवाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने दिया था।

यह दिन अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिए किए गए बांग्लादेश द्वारा लंबे संघर्ष को रेखांकित करता है। संयुक्त राष्ट्र UN के अनुसार, हर दो सप्ताह में एक भाषा विलुप्त हो जाती है और विश्व एक पूरी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत खो देता है। स्वदेशी भाषाओं की रक्षा के लिए भारत की पहल के तहत सरकार ने एक 'भाषा संगम' कार्यक्रम शुरू किया है, जो छात्रों को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं को सीखने और समझने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
 
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 की थीम: Theme of International Mother Language Day 2024 
 
वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम 'बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है' (Multilingual education is a pillar of intergenerational education) यह रखी गई है। जिसका उद्देश्य पीढ़ीगत शिक्षा को बढ़ावा देने में बहुभाषी शिक्षा के महत्व पर जोर देना है।
 
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