Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

क्या आप जानते हैं सोमनाथ मंदिर परिसर में स्थित 'बाण स्तम्भ' के बारे में

हमें फॉलो करें क्या आप जानते हैं सोमनाथ मंदिर परिसर में स्थित 'बाण स्तम्भ' के बारे में
अथर्व पंवार
भारत में प्राचीनकाल से ही संस्कृति , कला और विज्ञान का संगम मंदिरों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता था। उन्हीं मंदिरों की सूची में एक नाम है सोमनाथ। सोमनाथ की भव्यता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि इसकी वैभवता देखकर ही इसे लूटा और तोडा गया। बार बार विध्वंस होने के बाद भी इस मंदिर परिसर की वैभवता वैसी ही आती रही जैसे पतझड़ के बाद वसंत खिल उठता है।
सोमनाथ मंदिर परिसर में कोने पर एक स्तम्भ स्थापित किया गया है। इसे बाण स्तम्भ कहते हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण 6वी शताब्दी में हुआ था तो कुछ का कहना है कि यह और पुराना है बस समयानुसार इसका जीर्णोद्धार किया गया। यह स्तम्भ विशेष योग्यता रखता है क्योंकि यह एक ऐसा समुद्री मार्ग बता रहा है जहाँ से बिना किसी अवरोध (जमीन) के बिलकुल सीध में हम दक्षिण ध्रुव पहुंच सकते हैं। इस स्तम्भ पर संस्कृत में लिखा हुआ भी है "आसमुद्रानन्त दक्षिणध्रुव पर्यन्त अबाधित ज्योतिर्मार्ग" इसका अर्थ होता है 'समुद्र के अंत पर स्थित दक्षिण ध्रुव तक जाने की अबाधित मार्ग'।

अनेक खोजियों ने इस बारे में शोध भी किया कि इतने वर्ष पुराने स्तम्भ की सूचना सही है या नहीं , पर सभी में इस स्तम्भ की सत्यता ही निष्कर्ष में आई। यह हर भारतीय के लिए गर्व और आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि इतने वर्ष पहले भी हमें समुद्री मार्गों और पृथ्वी के मानचित्र का सटीक ज्ञान था। जब तकनीक इतनी आधुनिक नहीं थी तब हमारे भारतीय पूर्वजों को इतनी सूक्ष्म जानकारी थी कि इस मार्ग में कोई भूखण्ड (जमीन का टुकड़ा) नहीं है और पृथ्वी दक्षिणी ध्रुव और उत्तरी ध्रुव में बटी हुई है।
भारत के नौका शास्त्र के बारे में अनेक विदेशी यात्रियों ने विस्मयी प्रशंसा की है। प्राचीन समय से ही भारतीयों द्वारा विदेशी भूमि पर व्यापार के लिए जाया जाता था। वास्कोडिगामा भी भारतीय व्यापारी कांजी मालम के मार्गदर्शन में ही भारत आया था। मार्कोपोलो और अन्य यात्रियों ने भारतीय समुद्री जहाजों का ऐसा वर्णन किया है जिसे पढ़ने पर ज्ञात आता है कि उस काल में पाश्चात्य तकनीक हमारी तकनीकों के सामने फीके पड़ते थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कानों की समस्या से बचना है तो इन बातों का ध्यान रखें