राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और संसद में राज्यसभा सदस्य तारिक अनवर का जन्म 16 जनवरी 1951 को पटना में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में हुआ था।
दादा बैरिस्टर शाह जुबैर जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के करीबी सहयोगी थे। पिता शाह मुश्ताक़ एहमद और माता बिलकिस जहां थीं।
प्रारंभिक शिक्षा पटना में ही हुई। इसके बाद उन्होंने पटना कॉमर्स कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। निकाह हिना अनवर से हुआ। चार बेटियां और एक बेटा है।
इसके बाद उन्होंने बोधगया के मगध विश्वविद्यालय से राजनीति में एमए की उपाधि प्राप्त की। कॉलेज के दिनों से ही तारिक अनवर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इस दौरान भी वे कांग्रेस के छात्र संघ का दामन थामे हुए थे। वैसे उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत पटना से 1970 में थाना कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के रूप में हो गई थी।
तारिक अनवर ने राजनीति में पूर्ण रूप से आने से पहले कुछ समय तक पटना में ही पत्रकारिता की। उन्होंने 1972 में पटना से 'छात्र' नामक हिन्दी में एक साप्ताहिक टैब्लॉयड शुरू किया। 1974 में वे 'युवक धारा' व साप्ताहिक टैब्लॉयड पत्रिका 'पटना' के संपादक बने। बाद में यह पत्रिका 1982 में दिल्ली से 'फोर्थनाइटली' पत्रिका के रूप में छपने लगी।
तारिक ने राजनीति की पूर्ण शिक्षा सीताराम केसरी से प्राप्त की और अपने पूर्ण राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 के लोकसभा चुनाव से की, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर कटिहार से चुनाव लड़ा, किंतु वे हार गए। इसके बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। आपातकाल के बाद जनता पार्टी के शासन के दौरान 1977-80 तक वे बिहार राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
1980 में कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर इंदिरा गांधी ने उन्हें अखिल भारतीय युवक कांग्रेस का महासचिव और बाद में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का संयुक्त सचिव बनाया। इसके बाद तारिक को अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और इस पर वे इस पद पर 3 साल से अधिक समय तक रहे।
इंदिरा गांधी की हत्या के समय तारिक अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उस समय सिख विरोधी दंगों के दौरान युवक कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में राहत एवं पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तारिक, राजीव गांधी के काफी करीबी थे। राजीव ने पहले उन्हें कांग्रेस सेवा दल का अध्यक्ष और फिर बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया।
बिहार में सत्येंद्र नारायण सिन्हा के मुख्यमंत्रित्व काल में तारिक को 1988 और 1989 में दो बार कैबिनेट मंत्री बनाने की पेशकश की गई, लेकिन तारिक ने दोनों बार संगठन के कार्यों को तवज्जो दी और मंत्री पद अस्वीकार कर दिया। 1986 में वे 'तानजीन टाइम्स' मंथली पत्रिका के संपादक बने, जो दिल्ली से छपती थी।
1988 में हिन्दी में पटना से प्रकाशित मासिक 'सदाकत वानी' के मुख्य संपादक, 2001 में दिल्ली से हिन्दी में प्रकाशित 'फोर्थनाइटली' पत्रिका 'राष्ट्रवादी संकल्प' के एडिटर-इन-चीफ बने। 1985 में हुए 8वीं लोकसभा चुनाव में वे एक बार फिर जीते। इसके बाद वे ऑल इंडिया युथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए।
1988 में वे ऑल इंडिया कांग्रेस सेवादल के चेयरमैन बने। 1989 में वे बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और 1993 में एआईसीसी मॉनिटरिंग सेल के चेयरमैन बने। 1996 में वे तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव बने।
1997 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य चुन लिए गए। 1998 में वे एक बार फिर लोकसभा का चुनाव जीतकर बिहार राज्य में 20 प्वॉइंट इंप्लीमेन्टेशन कमेटी के कार्यकारी चेयरमैन बने और 1999 में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के जनरल सेक्रेटरी चुन लिए गए।
1999 से जुलाई 2004 तक राज्यसभा के लिए निर्वाचित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक महासचिव रहे। 2004 से 2009 तक कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग संबंधी स्थायी संसदीय समिति के सदस्य रहे। इसी अवधि में विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे।
2009 से गृह मंत्रालय की विभाग संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे। इसके अलावा अलग-अलग अवधि में वित्त मंत्रालय की सलाहकारी समिति के सदस्य रहने के अलावा नियम समिति के सदस्य भी रहे। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया दिल्ली, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर नई दिल्ली के सदस्य हैं। इसके अलावा कंस्टीट्यूशन क्लब के आजीवन सदस्य हैं। साथ ही बैडमिंटन, टेबल टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, वॉलीबॉल और कबड्डी में ख़ास रुचि रखते हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड, रूस, पाकिस्तान, सऊदी अरब, इटली, स्वीडन, बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन, बांग्लादेश, थाईलैंड, क्यूबा, बेल्जियम, नेपाल, बहरीन, दुबई, कतर, ईरान आदि देशों की यात्राएं की हैं।