झांसी में करीब 18 लाख वोटर हैं। बड़ी संख्या कुशवाह, लोधी और बामनों की है। पिछड़ी और दलित जातियों के वोट भी बहुत हैं कोरी, अहिरवार, मोची...। पांच विधानसभा हैं, जिनमें से एक ललितपुर तो सौ किलोमीटर दूर है। मगर इस बार सभी जगह बिरादरी का पत्ता कुछ कम चल रहा है। अगर बिरादरी ही सब कुछ होती, तो प्रदीप जैन 'आदित्य' यहां से सांसद और उससे पहले विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सकते थे। जैन वोट यहां न के बराबर हैं।
कुल मिलाकर हालात यह हैं कि उमा भारती साफ तौर पर जीतती हुई लग रही हैं और उन्हें जीतना चाहिए भी। उमा भारती से खबरें बनती हैं, राजनीति में भूचाल पैदा होता है। चुनाव बाद अगर भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता और खुदा ना खास्ता पार्टी में मोदी विरोधी कोई मुहिम चलती है, तो उसकी अगुआई के लिए भी तो कोई उमा भारती जैसा होना चाहिए।