...इसलिए उमा भारती नहीं गईं रायबरेली

-झांसी से दीपक असीम

Webdunia
FILE
झांसी आकर मालूम पड़ता है कि उमा भारती क्यों रायबरेली से नहीं लड़ना चाहतीं। रायबरेली जाकर तो शहीद होना है, ठीक है कि सोनिया गांधी के खिलाफ खड़े होकर प्रचार कुछ ज्यादा मिल जाएगा, मगर प्रचार का उमा को क्या टोटा? मीडिया उनका मोदी वाला पुराना बयान दिखाता ही है। झांसी से उन्हें श्योरशाट जीत दिख रही है। यहां पहुंचने के बाद जितने लोगों से चर्चा की, उतने लोगों ने कहा कि इस बार तो मोदी को पीएम बनाना है इसलिए भाजपा को वोट देना ही है। हालांकि उमा भारती अपने मन से मोदी को नेता नहीं स्वीकार करतीं। साध्वी का अहं बड़ा है।

प्रचार की राष्ट्रीय रणनीति के तहत शहर के मुख्य मार्गों पर मोदी के वो होर्डिंग लगे हैं, जिनमें सिर्फ मोदी हैं। मगर जहां भी प्रचार सामग्री स्थानीय लोगों ने छपाई है, उसमें अटल-आडवाणी को प्रधानता दी गई है। मिसाल के तौर पर स्टेशन रोड पर जो उमा भारती का मुख्य चुनाव कार्यालय है, उस पर अटल-आडवाणी तो हैं, मगर मोदी नहीं हैं।

पार्टी कार्यालय के गेट के एक खंभे पर जितने बड़े मोदी हैं, दूसरे खंभे पर उतनी ही बड़ी उमा भारती भी हैं। यानी उमा भारती खुद को मोदी के कमतर नहीं मानतीं। उमा झांसी को छोड़ना क्यों नहीं चाहतीं थीं, इसका एक कारण और है। यहां उनके पास बड़ा मुद्‌दा है, बुंदेलखंड का। उमा भारती ने कहा भी है कि यदि भाजपा की सरकार बनी तो तीन साल में बुंदेलखंड नाम का अलग प्रदेश...।

इसके अलावा सपा से लोग यहां भी बेहद नाराज हैं। कारण यही कि सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी आम है। अगर सपा कार्यकर्ता थाने पर फोन कर दे, तो पुलिस हिल जाती है। यही चीज़ सपा के खिलाफ जा रही है। जनता कानून का राज चाहती है, अराजकता नहीं।

क्या स्थिति है कांग्रस प्रत्याशी प्रदीप जैन की... पढ़ें अगले पेज पर...




मुख्य विपक्षी यहां हैं कांग्रेस के प्रदीप जैन 'आदित्य'। पिछली बार यही जीते थे, मगर झांसी की बदहाली कहती है कि कुछ किया नहीं। ये केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री थे। इनका कहना है कि इन्होंने झांसी में रेल्वे कोच फेक्ट्री डलवाई, रेल नीर उद्‌योग डलवाया, मेडिकल कॉलेज को एम्स जैसा दर्जा दिलाया, मगर लोग प्रभावित नहीं हैं। झांसी में उनके होर्डिंग प्रभावी हैं, जिन पर वे खुद हैं (सोनिया राहुल तक नहीं)। मगर झांसी में मोदी लहर चल रही है। ऐसे में प्रदीप जैन 'आदित्य' टिक सकेंगे इसमें संदेह है।
PR

झांसी में करीब 18 लाख वोटर हैं। बड़ी संख्या कुशवाह, लोधी और बामनों की है। पिछड़ी और दलित जातियों के वोट भी बहुत हैं कोरी, अहिरवार, मोची...। पांच विधानसभा हैं, जिनमें से एक ललितपुर तो सौ किलोमीटर दूर है। मगर इस बार सभी जगह बिरादरी का पत्ता कुछ कम चल रहा है। अगर बिरादरी ही सब कुछ होती, तो प्रदीप जैन 'आदित्य' यहां से सांसद और उससे पहले विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सकते थे। जैन वोट यहां न के बराबर हैं।

कुल मिलाकर हालात यह हैं कि उमा भारती साफ तौर पर जीतती हुई लग रही हैं और उन्हें जीतना चाहिए भी। उमा भारती से खबरें बनती हैं, राजनीति में भूचाल पैदा होता है। चुनाव बाद अगर भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता और खुदा ना खास्ता पार्टी में मोदी विरोधी कोई मुहिम चलती है, तो उसकी अगुआई के लिए भी तो कोई उमा भारती जैसा होना चाहिए।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan War : पाकिस्तान पर काल बनकर बरसीं ये स्वदेशी मिसाइलें, आतंक के आका को सदियों तक रहेगा भारतीय हमले का सदमा

डोनाल्ड ट्रंप ने दिया संकेत, भारत ने की अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क घटाने की पेशकश

भारत और PAK के बीच मध्यस्थता वाले बयान से पलटे Donald Trump, बोले- मैंने मदद की

कर्नल सोफिया कुरैशी के बाद अब विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर विवादित बयान, जानिए रामगोपाल यादव ने क्या कहा

Donald Trump ने Apple के CEO से कहा- भारत में बंद करें iPhone बनाना, सबसे ज्यादा टैरिफ वाला देश, बेचना मुश्किल

सभी देखें

नवीनतम

हरियाणा में पकड़ाया पाकिस्तानी जासूस, ISI को भेज रहा था खुफिया जानकारी

MP : सरकारी कार्यशाला में विजय शाह की फोटो पर भड़के अफसर, मंत्री की जगह लगाई PM मोदी की तस्वीर

Ceasefire को लेकर भारत और पाक के DGMO ने की बात, Pakistan के विदेश मंत्री डार ने किया यह दावा

Tahawwur Rana : तहव्वुर राणा को मिलेगी उसके हर गुनाह की सजा, बनी 5 वकीलों की टीम, जनरल तुषार मेहता अध्यक्ष

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में मुठभेड़, 3 आतंकी ढेर, 3 राइफल और 3 ग्रेनेड बरामद