Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कुपवाड़ा-बारामुला सीट, मुश्किल में नेकां

-सुरेश एस डुग्गर

हमें फॉलो करें कुपवाड़ा-बारामुला सीट, मुश्किल में नेकां
FILE
राज्य में अंतिम चरण का मतदान कुपवाड़ा-बारामुला में होगा। यहां 7 मई को मतदान तो होगा पर आतंकी धमकी के चलते पुलिस ने भी संभावित हिंसा को थामने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कश्मीर के हिंसक हुए माहौल के बीच अगर आतंकी पोस्टरों से लोगों को डरा धमका रहे हैं तो कांग्रेस के सहयोग के बावजूद इस सीट पर नेकां अपने आपको कमजोर महसूस कर रही है।

दक्षिण व मध्य कश्मीर की लोस सीट के मतदान को प्रभावित करने के बाद आतंकियों ने संसदीय सीट बारामुला के लिए होने जा रहे मतदान से लोगों को दूर रहने का फरमान सुनाया है। आतंकियों ने सियासी नेताओं व पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी गतिविधियां बंद करने के लिए सात दिन का समय दिया है। यह धमकी हिजबुल मुजाहिदीन ने रफियाबाद के रोहामा व उससे सटे गांवों में अपने धमकीभरे पोस्टर चस्पा कर दिए।

गौरतलब है कि बारामुला संसदीय सीट के लिए 7 मई को मतदान होने जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, यह पोस्टर सुबह रफियाबाद के साथ सटे रोहामा व उसके आसपास के गांवों में मिले हैं। हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा जारी किए गए पोस्टर स्थानीय मस्जिद, बिजली के खंभों और मुख्य चौक में चस्पा किए गए हैं। इन पोस्टरों में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी गतिविधियां बंद करने व इस्तीफा देने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।

पोस्टरों में कहा गया है कि फरमान न मानने वाले सात दिन बाद खुद अपना अंजाम देखेंगे। इन पोस्टरों में स्थानीय लोगों को सात मई को होने जा रहे मतदान से दूर रहने की ताकीद करते हुए कहा कि कश्मीर में जारी जेहाद को कमजोर बनाने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी। अगर कोई ऐसा करता है तो वह अपने अंजाम का खुद जिम्मेदार होगा।

आतंकी हिंसा के कारण अशांत रहा बारामुला आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से कश्मीर घाटी का सबसे बड़ा जिला है। यह कश्मीर को उस कश्मीर से जोड़ता है। इस सीट पर लगभग 11.51 लाख मतदाता हैं। इसमें 5.45 लाख महिलाएं और बाकी पुरुष हैं। सात मई को होने वाले मतदान के लिए यहां के 96 प्रतिशत पोलिंग स्टेशन संवेदनशील और अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं। आतंकी संगठनों ने चुनाव में खलल डालने की रणनीति बनाई है। लिहाजा सुरक्षाबलों और चुनाव आयोग के लिए यहां शांतिपूर्ण चुनाव बड़ी चुनौती है।

यहां नेकां के वर्तमान सांसद शरीफुद्दीन शारिक और पीडीपी प्रत्याशी व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग के बीच सीधा मुकाबला है। वैसे मैदान में 18 प्रत्याशी हैं। पीडीपी ने रियासत की गठबंधन सरकार की विफलता को मुद्दा बनाया है। दूसरी ओर नेकां सुप्रीमो फारुक अब्दुल्ला और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी को भाजपा के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की छाया से प्रभावित करार दिया है।

श्रीनगर में मतदान के बाद सुरक्षाबलों की गोली से नवाकदल में एक युवक की मौत के बाद तनाव के कारण सियासी दलों को अपनी सभाएं रद्द करनी पड़ी हैं। तनाव के कारण मतदान प्रतिशत घटने के आसार हैं। पीडीपी सुप्रीमो मुफ्ती मोहम्मद और उनकी पुत्री महबूबा मुफ्ती ने इस सीट के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया है। इस कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

अगर नेकां को कांग्रेसियों के रुख की चिंता है तो पीडीपी को चुनाव बहिष्कार की चिंता बहुत ज्यादा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कश्मीर में आज तक हुए सभी चुनावों में यह देखने को मिला है कि आतंकियों के चुनाव बहिष्कार का सीधा प्रभाव उसके वोट बैंक पर पड़ा है। वर्ष 2002 में भी ऐसा ही हुआ था।

याद रहे बारामुला-कुपवाड़ा जिलों से बने बारामुला संसदीय क्षेत्र में हिजबुल मुजाहिदीन का दबदबा है और पीडीपी ने इस मुद्दे को भुनाने की खातिर हिजबुल के नेताओं की तारीफों के पुल भी बांधे हैं। वह केन्द्र से बार-बार आग्रह कर रही है कि वह हिज्ब नेताओं से वार्ता आरंभ करे।

हालांकि बारामुला के मतदाता दुविधा में भी फंसे हुए हैं। असल में इस संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को सुरक्षाबल तथा आतंकी दोनों ही धमका रहे हैं। आतंकियों ने लोगों को मस्जिदों से यह चेतावनी जारी की है कि अगर उन्होंने मतदान किया तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा जबकि रोचक बात यह है कि सुरक्षाबल भी इन्हीं मस्जिदों का सहारा लोगों को सरकारी निर्देशों का पालन करने के लिए ले रहे हैं। यही कारण है कि मस्जिदों के इमाम मुसीबत में फंसे हैं और उन्हें दोनों ही धमकियों को जारी करना पड़ रहा है।

सुरक्षाबलों पर आरोप, क्या है इतिहास... पढ़ें अगले पेज पर...


सुरक्षाबल कथित रूप से धमकी दे रहे हैं कि अगर किसी ने मतदान नहीं किया तो उसकी खैर नहीं। साथ ही में वे मतदाताओं को शाम को अपनी अंगुलियों पर मतदान की स्याही के निशान को दिखाने के लिए भी कह रहे हैं। वे उन्हें यह भी कह रहे हैं कि अगर वे आप मतदान केन्द्रों तक नहीं गए तो उन्हें वे घसीटकर ले जाएंगे।

हालांकि प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षाबलों की ऐसी धमकियों से साफ इनकार कर रहे हैं। वे कहते हैं कि सुरक्षाबलों को मतदाताओं की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे कोई जोर जबरदस्ती किसी के साथ न करें। अनुमानतः 20 हजार से अधिक सुरक्षाबलों को संसदीय क्षेत्र में मतदान सम्पन्न करवाने के लिए तैनात किया गया है।

बारामुला संसदीय क्षेत्र का इतिहास

वर्षनिर्वाचित सांसद दूसरे स्थान पर रहे
1967 सईद अहमद आगा-कांग्रेस अब्दुल गनी मलिक-नेकां
1971 सईद अहमद आगा बट्ट-नेकां सईद अली शाह गिलानी -स्वतंत्र
1977अब्दुल आहद-नेकां सईद अली शाह गिलानी-स्वतंत्र
1980 मुबारक शाह-नेकांमुजफ्‍फर हुसैन बेग-स्वतंत्र
1984सैफुद्दीन सोज-नेकां मोहिउदीन वानी-नेकां-खालिदा
1989 सैफुद्दीन सोज-नेकां शेख अब्दुल रहमान-स्वतंत्र
1991चुनाव नहीं हुए
1996गुलाम रसूल कार-कांग्रेसगुलाम मुहम्मद मीर-स्वतंत्र
1998सैफुद्दीन सोज-नेकां मुजफ्‍फर हुसैन बेग-स्वतंत्र
1999 अब्दुल रशीद शाहीन-नेकांमुजफ्‍फर हुसैन बेग-स्वतंत्र
2004 अब्दुल रशीद शाहीन-नेकांनिजामुद्दीन बट-पीडीपी
2009 शरीफुद्दीन शरीक-नेकां दिलावर मीर-पीडीपी


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi