Ganga birth story: 14 मई 2024 मंगलवार के दिन गंगा सप्तमी पर गंगा जयंती मनाई जा रही है। इस दिन गंगा स्नान, गंगा पूजा और गंगा स्त्रोत का पाठ करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन दीपदान भी किया जाता है। इसके बाद गायत्री मंत्र और गंगा सहस्त्रनाम स्त्रोत का उच्चारण किया जाता है। आओ जानते हैं मां गंगा के जीवन की 6 रोचक बातें।
1. गंगा सप्तमी को गंगा मैया के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है तो वहीं गंगा दशहरा मां गंगा के पृथ्वी पर आगमन की प्रसन्नता में मनाया जाता है।
2. जह्नु ऋषि ने भागीरथ ऋषि का आग्रह स्वीकार किया और गंगाजी को अपने कान से बाहर निकाला। जिस समय यह घटना घटी थी, उस समय वैशाख पक्ष की सप्तमी तिथि थी, इसलिए इस दिन से गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन को गंगा का दूसरा जन्म माना जाता है। अत: जह्नु की कन्या होने की कारण ही गंगाजी को 'जाह्नवी' कहते हैं।
3. पुराणों में हमें गंगा माता की भिन्न भिन्न कथाएं मिलती है। कहते हैं कि गंगा देवी के पिता का नाम हिमालय है जो पार्वती के पिता भी हैं। गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं।
4. राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय के यहां पार्वती के नाम से जन्म लिया था उसी तरह माता गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहां जन्म लिया था।
5. यह भी कहा जाता है कि गंगा का जन्म ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था। मतलब यह कि गंगा नामक एक नदी का जन्म। एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा प्रकट हुई अतः उसे विष्णुपदी कहां जाता है।
6. महाराज भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा। तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं। बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया।