Ganpati Utsav 2023: दक्षिण भारत में मंदिरों का स्वरूप आज भी प्राचीन काल के भारतीय स्ट्रक्चर का बना हुआ है। यहां पर बहुत सुंदर और भव्य मंदिर है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर गणपति जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन दक्षिण भारत के इन 7 मंदिरों में बहुत भीड़ रहती है। आओ जानते हैं इन 7 मंदिरों के बारे में।
1. रॉकफोर्ट उच्ची पिल्लयार मंदिर, तमिलनाडु : तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) में रॉक फोर्ट नामक पहाड़ी के सबसे उपर स्थित उच्ची पिल्लयार मंदिर बहुत ही प्राचीन माना जाता है। इससे जुड़ी एक मान्यता है कि यहां रावण के भाई विभीषण ने एक बार भगवान गणेशजी पर वार किया था।
कथा अनुसार राम ने उन्हें विष्णु की मूर्ति लंका में विराजमान करने के लिए दी थी और शर्त यह थी कि ले जाते वक्त भूमि पर न रखें अन्यथा ये मूर्ति वहीं विराजमान हो जाएगी। इधर, देवता लोग नहीं चाहते थे कि यह मूर्ति राक्षस राज्य में विराजमान हो तब उन्होंने गणेशजी को पाठ पढ़ा दिया। बिचारे गणेश जी एक बालक का वेशधारण करके विभीषण के पीछे हो लिए। रास्त में विभीषण ने सोच थोड़ा स्नान ध्यान कर लिया जाए। उन्होंने उस बालक को देखकर कहा कि ये मूर्ति संभालों इसे नीचे मत रखना मैं अभी नदी में स्नान करके आता हूं।
बालरूप में गणेशजी ने वह मूर्ति ले ली और उनके जाने के बाद भूमि पर रख दी और जाकर उक्त पहाड़ी पर छुप गए। जब विभीषण को पता चला तो दिमाग खराब हो गया वह उस बालक को ढूंढते हुए उसी पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए जहां उन्होंने उस बालक को देखकर उसके सिर पर प्रहार किया। तब गणेशजी अपने असली रूप में प्रकट हो गए तो यह देखकर विभीषण पछताए और उन्होंने क्षमा मांगी तभी से इस चोटी पर गणेशजी विराजमान हैं। हालांकि इसका संबंध 7वीं शताब्दी से बताया जाता है। 273 फुट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में 400 के लगभग सीढ़ियां हैं।
2. कनिपकम विनायक मंदिर, चित्तूर : यह मंदिर आंधप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरूपति मंदिर से 75 किमी दूर स्थित है। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्त अपने पाप धोने के लिए मंदिर के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।
3. मनकुला विनायगर मंदिर, पुडुचेरी : यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा को कई बार समुद्र में फेंक दिया गया था, लेकिन यह उसी स्थान पर फिर से रोजाना प्रकट हो जाती थी। लगभग 1600 वर्ष से भी अधिक प्राचीन इस मंदिर का पुन: निर्माण फ्रांस की अधीनता के काल में करवाया गया था।
4. मधुर महागणपति मंदिर, केरल : यह भी अति प्राचीन मंदिर है जो मधुवाहिनी नदी के तट पर बना है। दसवीं शताब्दी के इस मंदिर की गणेश मूर्ति न ही मिट्टी की बनी है और न ही किसी पत्थर की यह न जाने किस तत्व से बनी है। इस मंदिर और इसकी मूर्ति को नष्ट करने के लिए एक बार टीपू सुल्तान यहां आया था परंतु यहां की किसी चीज ने उसे आकर्षित किया और उसका फैसला बदल गया।
इस मंदिर से जुड़ी रोचक कथा यह भी है कि पहले ये मंदिर भगवान शिव का हुआ करता था, परंतु प्राचीन कथा के अनुसार पुजारी के बेटे ने यहां भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। पुजारी का ये बेटा छोटासा बच्चा था। कहते हैं कि खेलते-खेलते मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई उसकी प्रतिमा का धीरे-धीरे आकार बढ़ाने लगा। वो हर दिन बड़ी और मोटी हो जाती थी। उसी समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।
5. डोडा गणपति मंदिर, बेंगलुरु : डोड्डा बसवन्ना गुड़ी में स्थित यह मंदिर कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित है जिसकी प्रसिद्धि भी दूर दूर तक फैली है।
6. सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई : महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर दुनियाभर में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। गणपति के इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 1801 में हुआ था। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
7. हतियनगडी-सिद्धि विनायक मंदिर : 8वीं सदी में निर्मित कर्नाटक के उडुपी में स्थित हतियनगडी-सिद्धि विनायक मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है जहां पर भगवान गणेश की 2.5 फुट ऊंची मूर्ति है। यहां पर गणेश चतुर्थी पर भक्तों की बहुत भीड़ रहती हैं।