मान्यता अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। इस दिन घर घर में मिट्टी के गणेशजी की स्थापना होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 10 सितंबर 2021 से गणेश उत्सव का प्रारंभ हो रहा है और विसर्जन अनंत चतुर्दशी अर्थात 19 सितंबर के दिन होगा। आओ जानने हैं कि किस तरह गणेश प्रतीमा को घर में लाना चाहिए।
1. ऐसे नहीं कि आप बाजार गए और प्रतिमा को खरीदकर ले आएं और स्थापित कर दिया। गणेशजी को प्रसन्न करना है तो प्रसन्नतापूर्वक और विधिवत रूप से श्री गणेशजी का घर में मंगल प्रवेश होना चाहिए।
2. गणेशजी के आगमन के पूर्व घर और द्वार को सजाया जाता है और जहां उन्हें स्थापित किया जाएगा उस जगह की सफाई करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं। फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखकर उस पर पीला, लाल या केसरिया वस्त्र बिछाएं। मतलब यह कि स्थापित करने वाली जगह को पहले से ही सजाकर रखें, जहां पर पूजा और आरती का सामान भी पहले से ही रखा हो।
3. बाजार जाने से पहले नवीन वस्त्र धारण करें, सिर पर टोपी या साफा बांधें, रुमाल भी रखें। पीतल या तांबे की थाली साथ में ले जाएं नहीं तो लकड़ी का पाट ले जाएं जिस पर गणेशजी विराजमान होकर घर में पधारेंगे। इसके साथ ही घंटी और मंजीरा भी ले जाएं।
4. बाजार जाकर जो भी गणेशजी पसंद आए उसका मोलभाव न करें उसे आगमन के लिए निमंत्रित करके दक्षिणा दे दें।
5. फिर गणेशजी की प्रतिमा को धूम-धाम से घर के द्वारा पर लाएं और द्वार पर ही उनकी आरती उतारें। मंगल गीत गाएं या शुभ मंत्र बोलें।
6. इसके बाद बप्पा के नारे लगाते हुए उन्हें अंदर लेकर आएं और पहले से तैयार स्थान पर विराजित करें।
7. मंगल प्रवेश के बाद विधिवत पूजा और आरती करें। इस तरीके से किए गए मंगल प्रवेश से सभी तरह के विघ्न दूर होकर जीवन में भी मंगल ही मंगल हो जाता है, क्योंकि गणेशजी विघ्न हरता और मंगलकर्ता हैं।
8. श्री गणेश की प्रतिमा बैठी हुई हो, उनके साथ वाहन चूहा हो, रिद्धि सिद्धि हो, रंग सफेद या सिंदूरी हो, सूंड बाएं तरफ हो, पिताम्बर या लाल परिधान उन पर हो, लड्डू का थाल हो इन बातों का ध्यान रखें....