25 अगस्त को आ रही श्री गणेश चतुर्थी पर भद्रा का योग है। भक्तों में असमंजस की स्थिति है कि आखिर प्रतिमा की स्थापना किस मुहूर्त में की जाए।
चूंकि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं, इसलिए चतुर्थी के दिन किसी भी समय प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। इसके बावजूद जो लोग मुहूर्त को खास महत्व देते हैं, वे लोग भी भद्रा की चिंता न करें, क्योंकि भद्रा का वास पाताल लोक में है और जब भद्रा, पाताल लोक में हो तो शुभ कार्य करने में किसी तरह का व्यवधान नहीं होता।
भगवान गणेश का जन्म मध्या- काल में हुआ, इसलिए गणेश पूजा के लिए मध्या- काल सर्वश्रेष्ठ है। पंचांग के आधार पर सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पांच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है।
इन पांच भागों को क्रमश: प्रात:काल, सङ्गव, मध्या-, अपरा- और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्या- के दौरान की जानी चाहिए।
कृष्ण पर लगा था स्यमंतक मणि चोरी करने का आरोप
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।
इस दिन चन्द्रमा का दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण पर स्यमंतक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। नारद ऋषि ने उन्हें बताया था कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा देखने की वजह से मिथ्या दोष भुगतना पड़ा है।
यह भी बताया था कि भगवान गणेश ने चन्द्रदेव को श्राप दिया था कि जो भी भाद्रपद चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन करेगा उसे मिथ्या दोष लगेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जाएगा। नारद की सलाह पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत किया था।