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Ganesh chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी की तिथि, पूजा सामग्री, पूजन विधि, कथा और स्थापना शुभ मुहूर्त सभी एकसाथ

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 26 अगस्त 2025 (15:41 IST)
Ganesh chaturthi Vrat 2025: हिंदू माह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इस दिन से 10 दिवसीय गणेश उत्सव प्रारंभ होते हैं। आओ जानते हैं गणेश चतुर्थी की तिथि, पूजा सामग्री, पूजन विधि, कथा और स्थापना शुभ मुहूर्त से संबंधित महत्वूर्ण जानकारी।
 
गणेश चतुर्थी की तिथि: 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 27 अगस्त 2025 को दोपहर 03:44 तक।
 
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गणेश स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त चौघड़िया अनुसार: 
अमृत: सुबह 7:33 से 9:09 के बीच।
शुभ: सुबह 10:46 से दोपहर 12:22 के बीच।
शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त: 06:48 से 7:55 के बीच।
राहु काल: दोपहर 12:22 से 01:59 के बीच। इस समय स्थापना और पूजा न करें। 
गणेश पूजा सामग्री:
गणेश जी की मूर्ति, चौकी या पाटा (मूर्ति रखने के लिए), लाल या पीला वस्त्र (चौकी पर बिछाने के लिए), कलश (तांबे या मिट्टी का), सिक्का, सुपारी, चावल, गंगाजल या शुद्ध जल, कुमकुम, हल्दी, चंदन, अक्षत (चावल), फूल, माला, दूर्वा (दुर्वा) घास, लाल गुड़हल का फूल (अनिवार्य), अगरबत्ती, धूप, दीपक, घी, माचिस, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण), भोग और प्रसाद के लिए मोदक (अनिवार्य), लड्डू, फल, मिठाई। 
गणेश स्थापना विधि:
1. जहां उन्हें स्थापित किया जाएगा उस जगह की सफाई करके उसे पूजा के लिए तैयार करें।
2. गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करने के पूर्व ईशान कोण को अच्‍छे से साफ करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं।
3. फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखें। पाट पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाएं।
4. चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं। तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें।
5. आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें।
6. ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु बोलकर गणेश जी एवं अम्बिका (सुपारी में मौली लपेटकर) को स्थापित करने के पूर्व निम्न मंत्र बोलकर आवाहन करें।
7. फिर स्थापना के दौरान यह मंत्र बोलें- गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं। उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।। आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
8. अब परिवार के सभी सददस्य एकत्रित होकर ॐ गंगणपते नम: का उच्चारण करते हुए प्रतिमा को पाट पर विराजमान करें और गणपति बप्पा मोरिया का जयघोष करें।
9. अब गणेशजी की विधिवत पूजा करके अंत में, गणेश जी की आरती गाएं और 'ॐ गणेशाय नमः' मंत्र का जाप करें।
गणेश पूजा विधि:
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, व्रत का संकल्प लेकर गणपति जी की पूजा करें। 
2. मूर्ति स्थापना के बाद मूर्ति पर जल छिड़कर पूजा की शुरुआत करें।
3. धूप, दीप प्रज्वलित करें और फिर कलश स्थापित करें। कलश पूजा करें।
4. फिर गणेशजी के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। 
5. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
6. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। गणेशजी को तुलसी अर्पित न करें।
7. अंत में उनकी आरती करके पु: नैवेद्य चढ़ाकर करके फिर कर्पूर आरती करें।
 
पूजा और आरती के बाद कथा पढ़ें: गणेश कथा के लिए आगे क्लिक करें:- ALSO READ: गणेश चतुर्थी की कथाएं: गणेश जी की असली कहानी क्या है?
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