दद्दू का दरबार : चोरी या लूट

एमके सांघी
प्रश्न- दद्दू जी, रेल में यात्रा कर रहे एक निजी विश्वविद्यालय के बीमार कुलपति जब भोपाल स्टेशन पर उतरे, तो एंबुलेंस के अभाव में एबीवीपी के दो छात्रों ने स्टेशन के बाहर खड़ी एक हाई कोर्ट जज की कार को जबरदस्ती चाबी छीनकर हासिल किया और उसमें कुलपति को अस्पताल लेकर गए। उद्देश्य अच्छा और सेवा का था पर कृत्य अपराधिक। पूरे प्रदेश में इस मामले की चर्चा है। लोग दो मत है। पुलिस ने छात्रों पर डकैती सहित अन्य गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है तथा कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी भी ना मंजूर कर दी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कोर्ट से माफी मांग कर छात्रों के प्रति नरम रुख अपनाने की अपील की है। आप क्या कहते हैं इस बारे में?
 
उत्तर- देखिए इसमें सबसे बड़ी गलती पुलिस की है। अपनी छवि के अनुरूप पुलिस लूट या डकैती की हर घटना को चोरी बताने का प्रयास करती है। और चोरी की ही रिपोर्ट लिखती है। पुलिस चाहती तो इस मामले को भी डकैती नहीं बल्कि चोरी बता कर रफा-दफा कर सकती थी।
 

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