दद्दूजी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कश्मीर की स्थिति को लेकर बौखला रहे हैं और नित नई गीदड़ भभकियां दे रहे हैं। इनका क्या इलाज है?
उत्तर : देखिए, इमरान खान को आप शतरंज की बिसात पर बादशाह का साथ देने के लिए बचे आखिरी मोहरे के रूप में एक घोड़ा समझ लीजिए। अब महज एक घोड़ा बादशाह को जिता तो सकता नहीं है। यह बात घोड़ा भी अच्छी तरह से जानता है। असहाय वह बेचारा अब या तो ढाई घर इधर उछल सकता है या उधर। तो उसे उछलने दो।
दद्दूजी, धारा 370 की समाप्ति को लेकर कांग्रेस में खलबली है। वे इस स्थिति को न उगल पा रहे हैं और न निगल पा रहे हैं। इसलिए अनुच्छेद को समाप्त करने के तरीके पर उंगली उठा रहे हैं। आप क्या कहेंगे इस बारे में?
उत्तर : देखिए, कांग्रेस की समस्या यह है कि जब वह एक उंगली उठाती है तो तीन उंगलियां उसके स्वयं की ओर इंगित करती हैं। राजनीति में बहुमत से फैसले होते हैं। अनुच्छेद 370 को, जो विगत 70 वर्षों से राहुलजी की तरह बाहें चढ़ाकर घूम रही थी, उसे 370 सदस्यों के 370 वोटों ने इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। अब ऐसे में कांग्रेस को वास्तविकता को स्वीकार कर लेना चाहिए।
दद्दूजी, कश्मीर में 370 के साथ ही 35A का भी तियां-पांचा कर दिया गया। ये किस तरह से संभव हो पाया?
उत्तर : भइये, ये इसलिए संभव हो पाया कि यदि मोदी है तो सबकुछ मुमकिन है। 35A में बस नाम का ही दम था। जब रिंग में असली '56 इंच' के सीने से 'सामना' हुआ तो वह एक ही राउंड में धराशायी हो गया।