Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

वर्ष 2020 : मंदिर और त्योहार सहित धर्म के लिए रहा संकट का काल

हमें फॉलो करें वर्ष 2020 : मंदिर और त्योहार सहित धर्म के लिए रहा संकट का काल

अनिरुद्ध जोशी

22-23 मार्च 2020 को कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लग गया था। संक्रांति, वसंत पंचमी, होली और रंगमंचमी का त्योहार ही अच्छे से मना बाकी सारे त्योहार लॉकडाउन और अनलॉक की प्रक्रिया के बीच ही मनाए गए। कोरोना के खतरे को देखते हुए करतारपुर कॉरिडोर को बंद हुआ, माता वैष्णोदेवी, स्वामीनारायण मंदिर, शिरडी का सांई मंदिर, सबरीमाला मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर सहित सभी बड़े मंदिर भक्तों के लिए बंद हो गया। इससे जहां मंदिर की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई वहीं कई धार्मिक आयोजन रद्द हो गए।
 
 
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मंदिरों में भी बहुत कुछ बदलाव हुआ। घंटी बजाना हो गया बंद, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ होने लगे दर्शन, चरणामृत और प्रसाद की व्यवस्था में भी बदलाव हुए। मंदिर के अंदर प्रसाद मिलना बंद हुआ। गर्भगृहों में लोगों के जाने पर रोक लगा दिया गया। अब दूर से ही देवी या देवता के दर्शन कर सकते हैं। कई मंदिरों में तो फूल और मालाओं पर भी प्रतिबंध रहा। लंगर के नियम भी बदल गए। केवल मास्क पहनने वालों को ही प्रवेश की अनुमति मिली और एक बार में 5 लोग ही मंदिर परिसर में जा सके। लॉकडाउन के चलते कई बड़े मंदिरों की व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। चार माह के लॉकडाउन के चलते मंदिर कर्मचारियों को घर पर ही बैठना पड़ा और इसे उनके आर्थिक जीवन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।
 
इस संबंध में देवास माता टेकरी मंदिर प्रमुख पंडित मुकेशनाथ पुजारी का कहना था कि वर्ष 2020 में कोराना वायरस एक देवीय प्रकोप था और देवी की कृपा से ही भारत में इसका प्रकोप कम ही देखने को मिला और जल्द ही यह प्रकोप चला भी जाएगी। हमने इस संकट के काल में भी माता की पूजा और आरती करना बंद नहीं किया। प्रशासन की अनुमति से प्रतिदिन सुबह और शाम को अकेले ही माता की पूजा-आरती की। इस दौरान मंदिर में सभी का प्रवेश निषेध रहा। हां, यह सही है कि इससे देशभर के पुजारियों ने आर्थिक संकट झेला है और मंदिर से जुड़े छोटे दुकानदार जैसे फूल-माला प्रसाद आदि बेचने वाले लोगों के जीवन में संकट रहा, परंतु सभी ने भारत सरकार के आदेश का पालन करते हुए कोरोना संकट के काल में घर में ही रहकर एक-दूसरे की मदद करते हुए जैसे-तैसे गुजारा किया।
 
मथुरा श्रीजी मठ के संत आनंद बाबा का कहना था कि वर्ष 2020 समस्त पृथ्वीवासियों की वर्तमान पीढ़ी के लिए दैहिक व भौतिक रूप से अत्यंत कष्ट कारी रहा। हमने अनेकों निर्दोष मनुष्यों को असमय काल के गाल में समाते हुए देखा। लगभग वर्ष भर समय चक्र की कुंडली में कालसर्प योग का मानवता पर अत्यंत क्रूर प्रभाव रहा। परंतु अगले वर्ष प्रभु कृपा से वर्ष के मध्य आमजन की पीड़ाओं में कमी आएगी व सम्पूर्ण राष्ट्र का मान बढ़ेगा।
 
कोरोना काल में अब लोग घरों में भी पूजा करने लगे हैं। नेट पर सर्च करके या किताबों से कई लोग पूजा विधि सीख गए और घर में ही पूजा पाठ करने लगे। कोरोना काल ने कई बड़े बदलाव किए जैसे कि शादी-विवाह आदि बड़े सादे ढंग से आयोजित किए जाने लगे और नाममात्र के ही रिश्तेदारों की उपस्थिति इन आयोजनों में रहने लगी। बहुतों ने तो घरों के सामने ही टेंट लगाकर 50 लोगों को बुलाकर ही विवाह संपन्न किए। हालांकि कई जगहों पर कोरोना गाइडलाइन के निमय तोड़े जाने की घटनाएं भी सामने आई।
 
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के चलते करोड़ों लोगों के खाने के लाले पड़ गए थे। गरीबों के साथ ही जो लोग अपने घरों में कैद थे उनका राशन पानी भी बंद हो गया था। ऐसे में सभी धर्मों के धार्मिक ट्रस्टों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने बढ़चढ़कर भाग लिया और लोगों के लिए राशन और सब्जी की व्यवस्था की। पलायन कर रहे मजदूरों और गरीबों के लिए भोजन के पैकेट वितरण किए गए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सहित, सेवा भारती, शिरडी साईं ट्रस्ट, तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट आदि कृई ट्रस्टों ने अपने स्तर पर दान दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

‘सुशासन दिवस’ को ‘कुशासन दिवस’ के रूप में मनाएंगे किसान संगठन