नई दिल्ली। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू ने विश्व चैंपियनशिप की पहली भारतीय विजेता होने का इतिहास रचा लेकिन इसे छोड़कर उनके प्रदर्शन में पूरे साल गिरावट देखने को मिली जबकि युवा खिलाड़ी लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के नए स्टार बनकर उभरे।
चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी की जोड़ी ने साल 2019 में पुरुष युगल मुकाबलों में कुछ शानदार प्रदर्शन किया और अगले साल के टोकियो ओलंपिक के लिए उम्मीद बंधा दी। सिंधू के विश्व खिताब, लक्ष्य के साल के 5 खिताब और अपनी सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग तथा चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी का पुरुष युगल में शानदार प्रदर्शन इस साल भारतीय बैडमिंटन की कुछ चमकदार उपलब्धियां रहीं।
सिंधू ने अगस्त में जापान की नोजोमी ओकुहारा को लगातार गेमों में पराजित कर विश्व चैंपियनशिप जीतने के साथ नया इतिहास रच दिया। वे यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। सिंधू इस खिताब से पहले तक और इस खिताब को जीतने के बाद साल के अंत तक संघर्ष करती रहीं। उनका पूरे साल में यही एकमात्र खिताब रहा।
विश्व चैंपियनशिप के बाद 7 टूर्नामेंटों में वे मात्र एक टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं और अन्य टूर्नामेंटों में उनका बोरिया-बिस्तर पहले या दूसरे दौर में बंधता रहा। साल के आखिरी वर्ल्ड टूर फाइनल्स में सिंधू अपने ग्रुप के पहले 2 मैच हारकर सेमीफाइनल की होड़ से बाहर हो गईं। उन्होंने अपना आखिरी मैच जीता लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। सिंधू ने पिछले साल यह खिताब जीता था और उसके बाद के 12 महीनों में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप के रूप में मात्र एक खिताब जीता।
अपने प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के बावजूद सिंधू टोकियो ओलंपिक में भारत के लिए बैडमिंटन में सबसे बड़ी पदक उम्मीद मानी जा रही हैं लेकिन 2020 में उन्हें अपने प्रदर्शन में निरंतरता लानी होगी। सिंधू की विदेशी कोच किम जी ह्यून को उनकी विश्व चैंपियनशिप की कामयाबी का श्रेय गया लेकिन ह्यून ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया जिसके बाद सिंधू के प्रदर्शन में भारी गिरावट देखने को मिली।