एकातेरिनबर्ग। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने फुटबॉल विश्व कप ग्रुप 'सी' के ओपनिंग मैच में मुश्किल से जीते फ्रांस को गुरुवार यहां लातिन अमेरिकी देश पेरू के खिलाफ काफी सजगता से खेलना होगा।
फ्रांस ने विश्व कप के अपने आखिरी 12 मैचों में लातिन अमेरिकी देशों के खिलाफ केवल 4 बार ही मैच जीते हैं। वर्ष 1998 में उसने ब्राजील को फाइनल में हराकर खिताब जीता था जबकि 4 मैच उसके ड्रॉ रहे हैं और 4 में उसे हार मिली है। ऐसे में उसे पेरू के खिलाफ भी उलटफेर से बचना होगा।
फ्रांस ने रूस में अपने ओपनिंग मैच में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया था जिसके बाद वह ग्रुप में शीर्ष पर पहुंच गया है जबकि वर्ष 1982 के बाद अपना पहला विश्व कप फाइनल खेल रहा पेरू डेनमार्क से 0-1 से हार गया था। टीम के फुलबैक मिगुएल ट्रॉउको ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि फ्रांस दक्षिण अमेरिकी टीम के खिलाफ खेलना पसंद करता है। हम जिस तरह खेलते हैं और गेंद को अपने कब्जे में रखते हैं उससे हम फ्रांस को परेशान कर सकते हैं।
फ्रांसीसी टीम के सेंटर बैक राफेल वराने ने कहा कि हम जानते हैं कि पेरू एक मजबूत विपक्षी है, जो मैच में पूरी आक्रामकता के साथ खेलती है। हमें भी उनके खिलाफ उतनी ही आक्रामकता के साथ खेलना होगा। कोच डिडियर डीशैंप्स पेरू के खिलाफ मिडफील्ड में ब्लास मातुदी को उतार सकते हैं। ओपनिंग मैच में भी कोरेंटाइन टोलिसो के खिलाफ मातुदी को अहम समय पर मैच में लाया गया था।
मौजूदा विश्व कप में खिताब की दावेदारों में शामिल फ्रांस ने हालांकि जर्मनी, ब्राजील, स्पेन और अर्जेंटीना जैसी टीमों को मिले अप्रत्याशित परिणामों से उलट विजयी शुरुआत की है और यदि वह पेरू के खिलाफ जीत दर्ज करती है तो नॉकआउट में जगह बना लेगी। काइलियन एमबापे और एंटोनी ग्रिजमैन फ्रांस को दूसरी जीत में मदद कर सकते हैं।
ओस्ताने डेम्बेले को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उतारा गया था लेकिन ओलिवर गिराउड को इस बार उनकी जगह पदार्पण का मौका दिया जा सकता है। दूसरी ओर पेरू को रूस में अभी भी पहली जीत की तलाश है जिसने 1982 में एक दोस्ताना मैच में फ्रांस को 1-0 से हराया था, जो दोनों टीमों की एकमात्र भिड़ंत है। पेरू सबसे अधिक पाउलो गुरेरा पर निर्भर है जिन्हें विश्व कप से ठीक पहले डोपिंग बैन से छुटकारा मिला है। (वार्ता)