सानवी पटेल
मां के बारे में तो सब लिखते हैं मगर उस पिता के बारे में बहुत कम लिखा गया है जिसके कुछ महीने पहले फट चुके जूते अभी कुछ महीने और चलेंगे।
जिसके माथे के पसीने से हमें यह आरामदायक जीवन मिला है। जो लाख मुश्किलों से अकेले ही लड़ जाते हैं मगर जब मेरे सामने होते हैं तो झट से मुस्कुरा देते हैं।
पापा, डैडी, बाबा, चाहे जैसे भी पुकार लो नाम अनेक हैं लेकिन प्यार सबका एक है। अकसर होता है ऐसा पापा खुद को हिसाब का पक्का बताते हैं, मैं पैसे मांगू तब गिनती भूल जाते हैं।
भले ही पापा से ज्यादा खुल कर बात नहीं कर पाते हैं लेकिन बिना कुछ कहे ही वो सारी बात समझ जाते हैं। पिता ही पहचान, पिता ही सम्मान है। पिता का आशीर्वाद हो तो कदमों में आसमान है। अकसर मां के सामने यह जिक्र कर देते हैं, बाजार जाना तो पापा के साथ ही पसंद है क्योंकि वो कभी कुछ लेने से मना नहीं करते ना।
सच्चाई है ये, पापा से ही तो मेरा हर सपना है, पापा साथ होते हैं तो लगता है बाजार का हर सामान अपना है। भले ही पापा को गले लगाकर “आई लव यू ” बोलना इतना आसान नहीं होता मगर पिता के प्रति आंखों में गर्व और मन में सम्मान अपार होता है। सुरक्षा, संबल, शक्ति, अप्रदर्शित–प्यार की अभिव्यक्ति, पिता, को पुनः-पुनः नमन है।