तकनीक ने की प्रदर्शनकारी किसानों की मुश्किलें आसान, लगा रखी हैं रोटी, कपड़े धोने की मशीनें

Webdunia
बुधवार, 16 दिसंबर 2020 (17:27 IST)
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 2 सप्ताह से अधिक समय से हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रदर्शन कर रहे हैं और ऐसे में गुरुद्वारा समितियों और एनजीओ ने यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराए हैं कि मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण आंदोलन प्रभावित न हो।
ALSO READ: Corona का बहाना लेकर संसद का शीतकालीन सत्र टालना लोकतंत्र की हत्या : कांग्रेस
1 घंटे में 1,000 से 1,200 रोटियां बनाने वाली मशीन, कपड़े धोने की मशीनें और मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियां पर लगाए गए सौर पैनल जैसे तकनीकी संसाधन यह सुनिश्चित कर रहे हैं, प्रदर्शनकारियों की मुश्किलें कम की जा सकें।
 
रोटियां बनाने वाली मशीनें प्रदर्शनकारियों के लिए समय पर खाना सुनिश्चित कर रही हैं और आधी रात तक ‘लंगर’ की व्यवस्था चलती है।
ALSO READ: भारतीय अमेरिकी राजा चारी सहित 3 अंतरिक्ष यात्री 'स्पेसएक्स-क्रू' अभियान के लिए चयनित
प्रदर्शन स्थल पर एक ‘लंगर’ का प्रबंधन कर रहे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के हरदीप सिंह ने से कहा कि रोटियां बनाने वाली यह मशीन पूरी तरह स्वचालित है। आपको केवल गूंथा हुआ आटा डालना है। यह आटे को गोल आकार में काटकर रोटियां बना देती है। 
 
उन्होंने कहा कि हम सुबह 7 बजे मशीन चालू करते हैं और यह रात 12 बजे तक चलती है। हम हर रोज 5,000 से अधिक लोगों को भोजन मुहैया करा रहे हैं। 
 
कई दिनों से अपने घरों से दूर रहे किसानों के लिए एक बड़ी समस्या कपड़े धोने की थी। कुछ किसान पहले पेट्रोल पंपों पर कपड़े धो रहे थे और नहा रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में तापमान काफी गिर गया और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ गई। ऐसे में कुछ किसानों और अन्य लोगों ने कपड़े धोने की मशीनों का प्रबंध किया।
ALSO READ: भारतीय सैनिकों ने 4 पाक सैनिक मार गिराए, कई चौकियां और बंकर तबाह
 30 वर्षीय प्रिंस संधु पंजाब के लुधियाना से कपड़े धोने की दो मशीनें लेकर आए ताकि वे और उनके साथी प्रदर्शनकारी आसानी से कपड़े दो सकें। कुछ दिन बाद किसी ने एक अन्य मशीन दान कर दी और तभी से ‘कपड़ा धोने की सेवा’ अनवरत जारी है।  संधु ने कहा कि हर रोज करीब 250 लोग कपड़े धोने आते हैं।
 
उन्होंने कहा कि मैं सुबह 6 बजे उठता हूं और लोगों को रात आठ बजे तक कपड़े धोने में मदद करता हूं। कपड़े धोने की जगह से कुछ ही दूरी पर पुष्पिंदर सिंह का चार्जिंग स्टेशन है। सिंह (36) ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों की आवश्यकताएं समझते हुए ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर 100-100 वॉट के दो सौर पैनल लगाने का फैसला किया।
 
 इससे पहले अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ‘खालसा एड’ सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के पैरों की मालिश के लिए मशीनें एवं गीजर लगाने के कारण सुर्खियों में आया था। (भाषा) 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

1000km दूर बैठा दुश्मन पलक झपकते तबाह, चीन-पाकिस्तान भी कांपेंगे, लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

उद्धव ठाकरे की 2 दिन में 2 बार चेकिंग से गर्माई महाराष्ट्र की सियासत, EC ने कहा- शाह और नड्डा की भी हुई जांच

महाराष्ट्र में विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा अघाड़ी का मतलब भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी

Ayushman Card : 70 साल के व्यक्ति का फ्री इलाज, क्या घर बैठे बनवा सकते हैं आयुष्मान कार्ड, कैसे चेक करें पात्रता

बोले राहुल गांधी, भाजपा ने जितना पैसा अरबपति मित्रों को दिया उससे ज्यादा हम गरीब और किसानों को देंगे

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: झारखंड में मतदान का उत्साह, पहले 2 घंटे में 13 फीसदी वोटिंग

विजयपुर उपचुनाव में वोटिंग शुरू होते ही कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी नजरबंद, कांग्रेस के कई बड़े नेता गिरफ्तार

तेलंगाना में बड़ा रेल हादसा, मालगाड़ी के 11 डिब्बे पटरी से उतरे

Petrol Diesel Prices: पेट्रोल डीजल के नए दाम जारी, जानें क्या हैं आपके नगर में भाव

Weather Update: पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी भागों में बढ़ी ठंड, दिल्ली एनसीआर में कैसा है मौसम

अगला लेख
More