यूपी गाजीपुर बार्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 64 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैंं। 26 जनवरी को दिल्ली बवाल के बाद चिल्ला बॉर्डर और बागपत में दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर चल रहा धरना समाप्त हो गया है। किसानों के धरने से किसान वी एम सिंह अपना हाथ खींच चुके है, वही भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं।
टिकैत का कहना है कि जब लड़ाई छिड़ गई तो राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह धरना छोड़कर भाग खड़े हुए हैं। सरकार जिस तरह से किसानों के धरने को कुचलने का काम कर रही है, उसी तरह वह गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटा सकती है। बिजली काट दी है, लेकिन हम डरने और हटने वाले नहीं है।
63 दिन से किसान शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहा था, अचानक 26 जनवरी को उग्र है गया, ये कहना गलत है। यह सब सरकार की चाल है, वह किसान आंदोलन तोड़ना चाहती है। टिकैत ने कहा अगर सरकार द्वारा इस तरह से आंदोलनों को खत्म किया जायेगा तो ये दुर्भाग्यपूर्ण ही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से बागपत का धरना खत्म करवाया है, उसी तरह गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों को खदेड़ सकती है। किसान धरनास्थल से अपने गांवों की तरफ रूख करेगा और धरना वही देगा।
वही युवा किसान नेता गौरव टिकैत ने कहा कि किसान लाठी और गोली से डरने वाला नही है। किसान और हिंसा दोनों अलग शब्द है, किसान हिंसा समर्थक नही है, बल्कि वह देश का अन्नदाता है।