नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। गोयल ने हालांकि साथ ही यह भी कहा कि बार-बार प्रस्तावों के बावजूद प्रदर्शनकारी अब तक कोई भी ठोस सुझाव के साथ नहीं आए हैं। गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसान यूनियनों से की गई यह अपील दोहराई कि सरकार उनके द्वारा उठाए गए किसी भी मुद्दे पर
चर्चा करने के लिए सिर्फ एक फोन दूर है और कहा कि लेकिन इसके लिए कम से कम किसी को फोन करना होगा ताकि हम आगे बढ़ सकें।
उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील है। प्रधानमंत्री और सरकार उनके साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा कि वे सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं लेकिन किसी को कम से कम फोन करना होगा ताकि हम आगे बढ़ सकें। किसानों को कुछ मुद्दों पर गुमराह किया जा रहा है और कुछ लोग उन्हें भ्रमित करने में सफल रहे हैं।
गोयल ने कहा कि हमने कानून को शब्दों के बदलाव के माध्यम से और सख्त बनाने का भी प्रस्ताव दिया, हमने 18 महीने के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया। हम समाचारों में तारीख पर तारीख पढ़ते रहते हैं, लेकिन यह प्रस्ताव पर प्रस्ताव होना चाहिए। हमें अभी तक किसानों से कोई ठोस सुझाव नहीं मिला है। गोयल रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री भी हैं।
सरकार की किसान नेताओं के साथ 11 दौर की वार्ता हुई है, आखिरी वार्ता 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड से पहले हुई थी। ट्रैक्टर परेड के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। मंत्री ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज फहराने की निंदा की और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने
हालांकि इस बात पर जोर दिया कि सरकार उससे आगे बढ़ने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार कोई विधेयक लाती है तो यह लोगों के लाभ के लिए होता है और यदि किसी को उससे दिक्कत है तो उन्हें दूसरों को इससे वंचित करने के बजाय उसे सामने लाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि भारत में करोड़ों किसान हैं, इन कानूनों से उन्हें लाभ होगा, विशेष रूप से छोटे किसानों को। हमने इस बात पर ध्यान दिया है कि कैसे उनकी आय में सुधार किया जाए। हम समझते हैं कि इससे किसान को ही लाभ होगा, अगर इसे लेकर मुद्दे हैं तो हम उन पर चर्चा कर सकते हैं लेकिन लाभों से बाकी वंचित क्यों रहें?
किसान ने लगाई फांसी : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बहादुरगढ़-दिल्ली बॉर्डर पर स्थित टीकरी में धरने पर बैठे एक किसान ने रविवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दूसरी ओर आंदोलन से 2 महीने बाद से लौटे एक अन्य किसान की मौत हो गई। पुलिस ने इसकी जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि किसान ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें केंद्र सरकार के खराब रवैए के परेशान होने की बात लिखी गई है। मृतक की पहचान हरियाणा के जींद जिले के सिंघवाल गांव निवासी 52 वर्षीय कर्मवीर सिंगवाल के रूप में की गई है। बीती रात ही वह अपने गांव से टीकरी बॉर्डर पहुंचा था।
पुलिस ने बताया कि कर्मवीर ने रविवार को बहादुरगढ़ के बायपास स्थित नए बस स्टैंड के पास एक पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी। सुबह किसानों को उसका शव पेड़ से लटका मिला तो इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने किसानों की मौजूदगी में शव को फंदे से उतारा और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल में भिजवा दिया है। परिजनों को भी सूचना दी गई है।
एक अन्य घटनाक्रम में टीकरी बॉर्डर से लगभग 2 महीने बाद अपने गांव चुहड़पुर लौटे एक किसान की शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि मरने वाले की पहचान रोशन के सिंह के रूप में की गई है। इससे पहले सिंह के शव को भाकियू के झंडे में लपेटा गया और किसानों एवं अन्य लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। (भाषा)