नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस ने बुधवार को सरकार पर अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र को किसानों के मन की बात सुनते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाना चाहिए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उच्च सदन में 2021-22 के आम बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश का हर नागरिक चाहता है कि वह आत्मनिर्भर बने। किंतु क्या वर्तमान स्थिति और अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार सही दिशा में आगे जा रही है? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या देश का किसान, दलित, अल्पसंख्यक, छोटे व्यापारी वर्ग तथा एमएसएमई (लघु एवं मझोले उद्योग) आत्मनिर्भर हैं?
उन्होंने तंज करते हुए सवाल किया कि दिल्ली की सीमाओं पर क्या किसान इसलिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि वे आत्मनिर्भर हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को इन सवालों के जवाब देने पड़ेंगे। तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आप किसानों के मन की बात नहीं सुनते, बस अपने मन की बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार के मंत्री कहते हैं कि व्यापारी और निजी कंपनियां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पैसा देंगी। उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार को इस बात का भरोसा है तो वह कानून बनाकर एमएसपी को अनिवार्य क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने दावा किया कि अमेरिका और यूरोप में इस तरह का प्रयोग विफल रहा है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल पहले कांग्रेस की सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाता था। उन्होंने कहा कि जबकि वास्तविकता यह है कि वर्तमान सरकार ने असम सहित उन राज्यों को ध्यान में रखकर बजट प्रस्ताव बनाए हैं जहां चुनाव होने हैं। उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल बजट में वोट बैंक की राजनीति और ऑफ बजट (बजट से इतर) नोट की राजनीति करता है।
उन्होंने कहा कि बजट एक परिप्रेक्ष्य होता है क्योंकि वह जब पेश किया जाता है, उस समय के हालात उसमें परिलक्षित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार जिस पार्टी की है, वह 2014 से सत्ता में है और अब उसका यह बहाना नहीं चल सकता कि सब बातों के लिए कांग्रेस की पिछली सरकार जिम्मेदार है।
सिब्बल ने कहा कि यदि यदि कोविड के पहले के आर्थिक संकेतों को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि अर्थव्यवस्था का किस तरह से कुप्रबंधन हो रहा था। उन्होंने कहा कि औद्योगिक निवेश विकास दर पूर्व संप्रग सरकार के पहले शासनकाल में 25 प्रतिशत और दूसरे शासनकाल में तीन प्रतिशत थी जो कोविड-19 आने से पहले घटकर महज दो प्रतिशत रह गई। बैंकों द्वारा कर्ज दिए जाने की वास्तविक वार्षिक विकास दर राजग के पहले शासनकाल में 13 प्रतिशत और संप्रग के पहले शासनकाल में 20 प्रतिशत थी। यह दर संप्रग के दूसरे शासन काल में छह प्रतिशत थी जबकि वर्तमान सरकार के शासनकाल में यह घटकर पांच प्रतिशत रह गई। उन्होंने इसी प्रकार निर्यात-आयात, कार्पोरेट क्षेत्र की बिक्री एवं लाभ में वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान आई गिरावट के आंकड़े दिए।
उन्होंने कहा कि ये आंकड़े दर्शाते हैं कि आप (सरकार) ने अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन किया। उन्होंने दावा कि सरकार ने इस बजट में केवल विकास पर ध्यान दिया है और वह लोगों को भूल गई। उन्होंने आरोप लगाया कि आप (सरकार) के पास उस गरीब आदमी के लिए कोई दिल नहीं है, जो शिक्षा चाहता है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चाहता है? 35 प्रतिशत एमएसई क्षेत्र बंद ही हो गया। आपने उनके लिए क्या किया?
सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार ने बजट में आंकड़ों की बाजीगरी की है। उन्होंने कहा कि 2018 में देश के एक प्रतिशत लोगों के पास देश की 58 प्रतिशत संपदा थी जो 2019 में बढ़कर 73 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि यह परस्पर लाभ पहुंचाने वाले क्रोनी कैपिटलिज्म का सटीक उदाहरण है।
उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि मंत्रीजी, वास्तविकता यह है कि देश में पांच-छह बिग बॉयज ऐसे हैं जो इस सारी संपत्ति पर कब्जा जमाए हुए हैं और एक बिग बॉय तो ऐसा है जो हर जगह मौजूद है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि देश के छह सात हवाई अड्डों को निजी हाथों में सौंप दिया गया और इस मामले में सरकार ने नीति आयोग एवं वित्त मंत्रालय की आपत्तियों को भी अनदेखा कर दिया।
उन्होंने कहा कि बजट में सरकार ने यह दिखाने का प्रयास किया कि वह केवल खर्च, खर्च और खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि जबकि वास्तविकता यह है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था का इतना कुप्रबंधन किया है कि उसे कहना चाहिए था कि मैंने उधार लिया, उधार लिया और उधार लिया। उन्होंने कहा कि सरकार के बजट से ही पता चलता है कि राजस्व वसूली में कमी आई है। उन्होंने कहा कि अब सवाल है कि सरकार राजस्व में बढ़ोत्तरी कैसे करेगी? उन्होंने कहा कि सरकार वर्तमान वर्ष में अपने निवेश लक्ष्य का मात्र 15 प्रतिशत ही हासिल कर पाई है।
सिब्बल ने कहा कि सरकार की आर्थिक समीक्षा और आम बजट में रोजगार के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है क्योंकि उसके लोगों को तो रोजगार मिल रहा है। उन्होंने दावा कि कोविड-19 के चलते वेतनभोगी 2.1 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि वह आधारभूत ढांचा क्षेत्र में जो व्यय बढ़ा रही है, उससे लोगों को रोजगार मिलेगा। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सरकार ने केवल खोखले वादे किए हैं और यह नहीं बताया कि इससे कब तक रोजगार मिलेगा? (भाषा)